न धुएं में उड़ता है, न गले से उतरता है
न टिंडर पर बहलता है, न महफ़िलों में थिरकता है
ग़म-ऐ-इश्क कुछ ऐसा है यहां साहिब
कि बस आंखों में पिघलता है और होंठों पर बिखरता है
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M.tech(IIT bhu)
दस्तक हम देते हैं दुनिया में और आंखें किसी और की चमक जाती हैं,
कदम हमारे चलने लगते हैं और ख्वाहिशें किसी और की बढ़ जाती है,
होंठ अपने मुस्कुरा देते हैं और दिल किसी और का खुशियों में खो जाता है,
नीर अपने नैना बहा देते हैं और गला किसी और का दर्द में सो जाता है,
समस्याओं को पिरो देते हैं जो समाधान के धागों में...
संस्कारों को बो देते हैं जो हमारे दिलों के बागों में...
पापा कहती है दुनिया उन्हें जिनकी सिर्फ परी होने पर हमें गर्व सा हो जाता,
पर दोस्तों जब वही परी अपने पापा का गुरूर बन जाती तो उनके लिए भी यही जीवन स्वर्ग सा हो जाता है।
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मेरे सपनें दब रहें हैं, मेरे अपनों की वजह से,
मेरे अपने डर रहे हैं, मेरे सपनों की वजह से,
भावुक हूं मैं, चंचल हूं मैं, कपट मन में है नहीं,
सपनें हैं लेकिन आंखों में, लड़ जाती हूं मैं अपनों से ही,
कायर हूं मैं झुक जाती हूं, भावुकता जो भारी हुई,
अपनों की हो वो सपनों की हो, सबने मेरी कमजोरियां छुई,
हंसती हूं मैं और हंसती ही रहती, परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो,
इस जिंदगी का एक-एक पल मुझे जीना है, अब जिंदगी अपनी जैसी भी हो।-
कि तुम गुलाब.. मैं उसका गुलाबी रंग बन जाऊं
कि तुम जब-जब खिलो .. मैं बस तुम्हारी खूबसूरती बढ़ाऊं-
हां मशहूर हो मगरूर हो मसरूफ हो मजबूर हो
पर भूलो मत इस दुनिया में खुदा के भेजे तुम नूर हो
हां जिंदगी है कश्मकश है पर फिर भी खिलखिला देना
क्योंकि याद रखना तुम आज भी अपनी मां के लिए कोहिनूर हो
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बरसा तो तड़प देखी ....थमा तो खामोशी देखी
बुलंदियो पर मदहोश तो ...जलभराव मे बेहोशी देखी
हाँ था तो महज पानी ही... पर झलक थी उसमें एक बेबसी की
लगा मानो किसी सख्श की ...मैने खानाबदोशी देखी-
कोई फूल था वो मेरी जिंदगी में जैसे...
खिलता था तो... मुस्कुराने का मन करता था
पास रहता था तो... खुशबुओं से मन भरता था
सूखता था तो... पूरा अन्दर से दिल बिखरता था
और टूटता था तो... हर पल उसे खोने से ये दिल डरता था-
कि कोई जा रहा हो जहान छोड़कर
और हम उसे आखिरी बार
अलविदा भी न कह सकें,
इतना ऊंचाइयों पर भी नहीं चढ़ना
कि कोई सहारे को ताक रहा हो नीचे
और हमें दूर-दूर तक दिखाई ही न पड़े।-