मेरे सपनें दब रहें हैं, मेरे अपनों की वजह से,
मेरे अपने डर रहे हैं, मेरे सपनों की वजह से,
भावुक हूं मैं, चंचल हूं मैं, कपट मन में है नहीं,
सपनें हैं लेकिन आंखों में, लड़ जाती हूं मैं अपनों से ही,
कायर हूं मैं झुक जाती हूं, भावुकता जो भारी हुई,
अपनों की हो वो सपनों की हो, सबने मेरी कमजोरियां छुई,
हंसती हूं मैं और हंसती ही रहती, परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो,
इस जिंदगी का एक-एक पल मुझे जीना है, अब जिंदगी अपनी जैसी भी हो।
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