-: नायाब रिश्ता :-
ख़ून का नहीं तो क्या हुआ,
दिल का हमारा नाता है...
जाने क्यों दुनिया को,
हमारा प्यार कभी न भाता है...
माँ एक नहीं हमारी तो क्या हुआ,
दो माँ हैं हमारी, आपका क्या जाता है...
न जाने किस नज़र से देखते है दुनिया वाले,
क्या एक भाई अपनी बहन पर प्यार नहीं जताता है...
क्या हुआ अगर ये बहन दूजे घर में रहती है,
प्यार से ये भी तो मुझे भईया-भईया कहती है...
सोच बदलो दुनिया वालों,
सोच तुम्हारी खराब है...
ये भाई-बहन का रिश्ता,
दुनिया में सब से नायाब है...!!!-
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-: इस ज़माने का इश्क़ :-
माना इश्क़ हमने बहोत शिद्दत से किया है,
माना, इश्क़ हमने बहोत शिद्दत से किया है,
पर साथ हमारा लैला ने भी तो दिया है...
हमें पत्थर मार रहे हो हज़ारों,
दोस्तों,
दो चार पत्थर लैला को भी तो मारो...!!!-
-: देवदास दिल :-
उसके पास रहने की ख्वाहिश में,
ये दिल उदास हो गया...
न चाहते हुए भी न जानें क्यों ये दिल,
देवदास हो गया...!!!-
-: इज़हार-ए-इश्क़ :-
ख्वाहिशें तो बहोत हैं इस दिल में,
मगर बयान कैसे करैं...???
डरते हैं खोने से तुम्हें,
अब तुम ही बताओ,
ये इज़हार कैसे करें...???-
-: चाहत-ए-दिल :-
कोई तो आस पास रहता है,
कौन है जो दिल के इतने पास रहता है।
कोई अख़िर क्यों इतना सहता है,
कुछ भी न किसी से वो कहता है।
फिर भी वो आस ये रखता है,
कोई उसे भी तो समझे,
ख़ुदा से बस यही फरियाद वो करता है।
हो उसका भी कोई अपना,
बस इतनी सी ही तो चाहत वो रखता है।
दिल दुखाया है जिसने उसका बुरी तरह,
फिर भी अपनी दुआवों में उसे शामिल वो रखता है।
मोहब्बत और फरेब में तू फर्क तो कर,
बस इतनी सी ही इल्तिजा वो करता है।
सिद्दत से की हुई मोहब्बत का सिला तो मिले,
बस तुझसे सिर्फ इतनी सी ही उम्मीद वो रखता है...!!!-
-: आवाज़-ए-एहसा :-
सोचा कलम उठाऊँ और लिखना शुरू करूँ,
पर इन शब्दों पर भी तेरा ही कब्ज़ा हो गया...
(Read Caption)
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-: :-
मेरी प्यारी बहना...
मेरी दुआ है ये,
हमेशा यूँ ही तुम खिलखिलाती रहना...
कभी सुनती, कभी कुछ सुनाती रहना...
दुनिया में तुम्हारी कभी न दुख का साया आए,
खुशियों से यूँ ही जगमगति रहना...
ये कलाई मेरी सूनी न होने पाय कभी,
रेशम का धागा इसपर यूँ ही बाँधती रहना...
ये न समझना रक्षा क़र्ज़ है कोई,
ये फ़र्ज़ है मेरा, इस फ़र्ज़ को मुझे निभाने देना...
मेरी प्यारी बहना...!!!-
-: आरजू :-
ऐ ख़ुदा,,,
अब मैं किसी का होना चाहता हूँ,
उसको अपनी बाहों में भर कर रोना चाहता हूँ...
मुझे मालूम है, नहीं मिलेगा फिर भी सुकून मुझे...
क्या करूं,
बस आग़ोश में किसी की अब मैं सोना चाहता हूँ...
शिद्दत-ए-इश्क़ का ज़हर पी तो लिया है,
अब इस ज़हर का असर मुझ पर होने देना चाहता हूँ...
वो तो न हो सकी मेरी जिससे इश्क़ है मुझे,
बस इस "है" को "था" अब मैं करना चाहता हूँ...!!!-
खुशियाँ हो या गम,
रहना साथ हरदम...
यूँ ही तुम खिल-खिलाना,
हमेशा ख़ुशी से जगमगाना..
ये ज़माना भी साथ झूमेगा,
हमेशा ऐसे ही तुम्हे ये पूजेगा...
न कभी मुरझाना तुम,
यूँ ही हमेशा खुशबू फैलाना तुम...!!!-
कभी सिर्फ नज़रें ही काफी होती हैं बयां करने के लिए हल-ए-दिल,
कभी पूरी कहानी ही कम पड़ जाती है...
वैसे तो दिल से कही हर बात काफी है,
फिर भी इन 3 लफ़्ज़ों से,
किसी की पूरी दुनिया डगमगा जाती है...!!!-