खुद को जमाने भर से छिपा के
खुद में कैद हो जाना कैसा होता होगा?
इक छोटे से मन में दुनिया जहाँ
के सपनों को टटोल आये लोग
विचारों के अंतहीन समंदर में डूबे रह जाते है
कभी कभी मन का होना, ना होना
कुछ समझ नही आता,
सबसे एकाकी हुये लोगों की कहानी
खोजने के लिये अथक प्रयास करने होते है
उनके छोटे मोटे से बहाव भी
शांत सी नदियों में उफान ले आते है
वें मन,
और उनमें कैद अनगिनत कहानियाँ
जिन्हें पढ़ने कोई नही जाएगा,
इस किताब की तालाश में
हर रोज़ निकला करती है मेरी कविताएं
ताकि मुक्त कर सके
अपने और उनके हिस्से की कहानियाँ
जो सिमटकर गयी है
किसी खोयी हुईं किताब में... 🌻!
-