शिखा श्रीवास्तव   (शिखा अनुराग)
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Joined 18 January 2017


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Joined 18 January 2017

राघव और तारा, बचपन के पक्के दोस्त जिनकी दोस्ती का आधार बनी गेम पार्लर में खेली जाने वाली वीडियो गेम्स जिसके वो दोनों ही दीवाने थे।
बचपन बीता और खेल की जगह ली कैरियर के प्रति उनकी चिंताओं ने और फिर संघर्ष की राहों पर सफर करते हुए इन दोस्तों की मंजिल बनी 'वैदेही गेमिंग वर्ल्ड'।
लेकिन इस गेमिंग वर्ल्ड के साथ जुड़ा हुआ नाम वैदेही किसका था?
क्यों तारा की किसी बात से इंकार न करने वाला राघव उसके स्नेह भरे आग्रह के बावजूद उसके साथ होली खेलने से कतराता था?
क्या तारा अपनी दोस्ती निभाकर राघव के जीवन से खोया हुआ फागुन का मौसम उसे लौटा पायेगी?
जानने के लिए पढ़िए मेरा नया धारावाहिक 'फागुन के मौसम' सिर्फ प्रतिलिपि पर।

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कभी-कभी सिर्फ किसी से प्रेम करना ही काफ़ी नहीं होता है।
छोटे-छोटे से लम्हों में उस प्रेम को ज़ाहिर करना भी जरूरी होता है।
भले ही प्रेम में शब्दों के कोई मायने ना हों लेकिन अहसासों के मायने तो होते हैं।
वो अहसास जिन्हें कभी-कभी बयां कर देना प्रेम को, हमारी जिंदगी को और खूबसूरत बना देता है।

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अगर माँ से है मायका
तो सास से ससुराल है
जो सौंपती हमारे हाथों में
अपना सारा घर-संसार है
तीज त्योहार पर स्नेह से
वही तो याद हैं दिलाती
सुनो बहू कोरी कलाई पर
सजा लो तुम मेंहदी
सिखाकर हमें रस्में नयी नयी
परिवार का अटूट हिस्सा
वो हमें हैं बनातीं
अल्हड़ नादान लड़की को
ढालती हैं वो परिपक्व स्त्री में
कभी डांट से कभी प्यार से
जिम्मेदारियों को उठाने लायक
बना देती हैं मजबूत हमारे कंधे
उनके स्नेह और मार्गदर्शन की छांव पाकर
आबाद होता है हमारा ये जीवन
सास है तो है जिम्मेदारी आधी
और दोगुनी हमारी खुशियां हैं
उनसे ही हैं सारे रिश्ते
वर्ना सब कागज की पुड़िया है

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त्याग
(👇caption👇)

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पाकर प्रेम के बदले तिरस्कार,
मुस्कुरा दे जो खामोश निगाहों से...
सह जाए हर पीड़ा,
ना करे कभी कोई सवाल...
उस सा नही कोई शख्स,
हो सकता मजबूत इस दुनिया में!
सिर्फ करने के लिए
अपने अहम को संतुष्ट,
जो देते है मासूम दिल को चोट...
नही उन सा कोई शख्स,
हो सकता कमजोर इस दुनिया में!
ज़िन्दगी है उसी की,
जिसने दर्द को पीना सीख लिया!
अवहेलना की वेदना को भी,
हंसकर सदा कुबूल किया!

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अगर हम दे सकते है
माँ को कोई तोहफा,
मातृ दिवस पर...
तो होगा सबसे सुंदर उपहार यही,
की बंद करें उसे महज
त्याग की देवी बनाना!
समझे उसे भी एक इंसान,
करे कद्र उसकी पसंद-नापसंद की!
दे उसे थोड़ा सा आराम,
और सुकून के कुछ लम्हे!
माँ जैसे बनती है,
बचपन में हमारी साथी हर कदम पर...
और देती है हमारे सपनों को पंख!
अब हम समझे-जाने उसके सपने, उसकी इच्छाएं,
और दे उसके भी हौसलों को उड़ान!
हो उसके होंठो पर सच्ची खुशी,
यही होगा हमारी तरफ से अनमोल उपहार!

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"मुश्किल नही है कुछ भी अगर ठान लीजिये"

प्रेम में रची गयी दुनिया की सबसे सुंदर पंक्ति!
सचमुच मोहब्बत ही तो देती है वो जज्बा,
की हम खड़े हो उठते है पूरी हिम्मत से...
हर मुश्किल हर तकलीफ के सामने,
और करते है बिना डरे सामना उसका!
चाहे हो वो मोहब्बत सैनिक की देश के प्रति,
या हो मोहब्बत माता-पिता की बच्चे के लिए!
चाहे हो जज्बात बच्चे के अपने माता-पिता के प्रति,
या फिर हो प्रेमियों की भावना अपने प्रियतम के लिये!
प्रेम हर रूप में बनता है हमारी ताकत ही,
और सदैव करता है हमारा मार्ग प्रशस्त!

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क्षण-क्षण हर क्षण छनकती है मेरी चूड़ियां,
देती है बस तुझको ही सनम आवाज!
कहां हो गुम तुम ओ मोरे सैयां,
आओ मिलाओ ना मेरे सुर से साज!

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क्षण भर को आया ही नही यकीन,
सचमुच् बिखर गया वो आशियाना!
बसाया था जिसे हमने-तुमने मिलके,
था जुड़ा जिससे हमारा हर एक सपना!

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मेरा पहला और एकलौता घर
(👇Caption👇)

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