ज़रूरी तो नहीं…
कि हर ख्वाहिश मुकम्मल हो इश्क़ में,
कुछ मोहब्बतें अधूरी रहकर ही
ज़िंदगी भर मुकम्मल एहसास दे जाती हैं।
हर प्रेम का अंजाम मिलन नहीं होता,
कुछ लोग जुदा होकर भी
दिल की धड़कनों में
आख़िरी साँस तक बस जाते हैं…-
I respect those who respect me and forget those who forget me.....
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फ़रोज़ाँ हैं तेरे ख़याल, मेरी तन्हाई की रातों में,
चमकते हैं जैसे जुगनू, टूटी हुई बातों में।
तेरी हँसी का नूर अब भी महफिलों में जलता है,
हर चेहरा तेरे असर से थोड़ा सा तो चमकता है।
तू गया भी तो क्या, रौशनी रह गई तेरे नाम की,
धूप बन के बिखर गई वो मुस्कान तेरे काम की।
तेरे बिना भी दिल ने उम्मीदों का दिया जलाया,
अंधेरों में भी "फ़रोज़ाँ" इक तेरा चेहरा नजर आया।
ना था तू पास फिर भी उजालों से जुड़ा रहा,
तेरे इश्क़ का असर था या तू ही खुदा रहा?-
तेरा हमेशा मेरे साथ होने का यक़ीन रगों में बहता है,
पर फिर भी एक डर हर साँस में रहता है।
तू मेरा है — ये सच दिल जानता है,
मगर तक़दीर किस मोड़ पे ले जाए, कौन पहचानता है?
मोहब्बत बेइंतिहा है — ये तेरी नज़रों से दिखता है,
फिर भी इस दिल का कोना किसी ख़ालीपन से सिसकता है।
कहीं वक़्त न छीन ले वो जो मेरी जान है,
यही सोचकर हर खुशी भी अब एक इम्तहान है।
तुझपे ऐतबार है, खुदा से भी ज़्यादा,
फिर भी तुझसे बिछड़ने का डर… हर रोज़ थोड़ा-थोड़ा जीने नहीं देता।-
"कभी-कभी मोहब्बत ठहर जाती है, किसी पन्ने पर, किसी नज़्म में, किसी साए में... और हम जीते जाते हैं, बस उस एहसास की पनाह में।"
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तेरा होना ज़रूरी तो नहीं है पास में,
तेरे एहसास ने ही ज़िन्दगी को छू लिया है ख़ास में।
Full poetry read in caption....-
कैसे हो? — बस मुस्कान का एक मुखौटा लिए,
मैं ठीक हूं — कह दिया, जैसे कुछ भी न हो भीतर छुपे।
तुम कैसी हो? — जवाब में वही झूठी सी राहत,
मैं भी ठीक — कह दिया, जैसे दिल न हो ज़ख्मों से लथपथ।
इन बातों की तह में उतरकर जो देखोगे कभी,
हजारों ग़मों की परतें मिलेंगी बिन वजह छिपी।
बेहिसाब ख्वाहिशें, टूटे हुए कुछ सपने मिलेंगे,
और उन सब पर "मैं ठीक हूं" की चादर सलीके से ओढ़ी मिलेगी।-
सरकशी की थी क्योंकि ख़ामोशी घुटन देने लगी थी,
अश्क़ आँखों से नहीं, अब रूह से बहने लगी थी।
हर हुक्म में जब खो रहा था मेरा वजूद,
तब बग़ावत मेरी एक सिसकी बनने लगी थी।
इन्हीं जज़्बातों ने आवाज़ बनना सीखा,
वरना दर्द तो बरसों से बेजुबां रहने लगी थी।
जो दुनिया ने कहा "गुस्ताख़", वो मेरी सच्चाई थी,
उस बेवजह की चुप्पी में एक चीख़ समाई थी।
सरकशी मेरी फ़ितरत नहीं, हालात ने सिखाई है,
चुप्पियों के बीच इक बग़ावत गहराई है।
अब जब भी देखो, आंखों में चिंगारी मिलती है,
सरकशी है ये, या ज़िंदा होने की निशानी है?-
कभी पास आओ... तो बताऊँ दिल के ज़ख्म कितने गहरे हैं,
ये मुस्कुराहटें बस नक़ाब हैं, अंदर तो आँसू बहते बेहिसाब हैं।
दूर रहकर जो पूछोगे हाल-ए-दिल, तो बस 'ठीक हूँ' ही कहेंगे,
क्योंकि दर्द की जुबां नहीं होती, वो तो आँखों से ही बहेंगे।
तुम साथ बैठो तो हर चुप्पी को भी आवाज़ मिल जाए,
और ये थमी हुई साँसें भी खुलकर सिसकियाँ बन जाएँ।
मिलोगे जब करीब, तो शायद दिल सब कुछ कह जाए,
वरना तन्हाई में तो हर दर्द भी खुद से ही सह जाए।-
तेरे ख्वाब आज भी पलकों पे रुके हैं,
जैसे अधूरे अल्फ़ाज़ हों जो लबों से झुके हैं।
थामा था हाथ जब, वक़्त ठहर सा गया था,
पर तक़दीर की राहों में कुछ और ही लिखा था।
तेरे बिना हर पल कुछ कम-सा लगता है,
दिल तो तेरा ही है, पर क्यों ग़म-सा लगता है?
न तू मेरा हुआ, न तुझसे दूर हो पाए,
ये रिश्ता था या कोई रूठे हुए रब की दुआएं?
अधूरा सही, पर सच्चा है ये एहसास हमारा,
कभी ना भूल पाएंगे — ये अधूरा प्यार हमारा।-
Thank you all from the bottom of my heart for taking out your precious time to read my quotes and leave such beautiful comments. Truly grateful.🙏🙏🙏🙂
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