भरने लगे हैं घाव जैसे,
दिल को मिल रहे पांव जैसे,
आंखों में मानो पर लगे हों, उड़ रहे हैं ख्वाब ऐसे...
हाथों से फिर हांथ छूटा, खाली मकां भी किसने लूटा,
हौले हौले आंखों से फिर हो रही बरसात जैसे,
भीगी सी ये पलकें देखो, बिखर रही हों रात जैसे,
आया है वो अजनबी फिर देने हमें सौगात कैसे...
तुम हो या वो तुम_सा है कोई,
टकराया है कोई फिर से ऐसे,
ये दिल की धड़कन तेज क्यूं है, हो रही तेरी बात जैसे !!!-
Hurt_heart❤️🩹
.....A Lost Old Soul ❤️🍂
... A pen who knows everything ...
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F... read more
बेसबर सा वो परिंदा आजकल शांत रहने
लगा है,
हर बात पर अड़ जाने वाला आजकल हर बात
सहने लगा है,
घर घर सा नहीं लगता उसे, ना जाने क्या हो
गया है,
बचपने में रहने वाला वो बच्चा न जाने कहां खो
गया है,
हर बात का अब वो हिसाब रखने लगा है,
खिलौने की जगह अब किताब रखने लगा है,
दिल के बस्ते में वो आग लगाकर, पन्ने पन्ने का अब
ख्याल रखने लगा है,
मासूमियत सारी तो ज़माने में धुल गई,
उसकी प्यारी सी दुनियां तो अब मुस्कुराना
ही भूल गई,
नासमझी का दौर तो कबका गुजर गया,
अब वो हर बात का जवाब रखने लगा है।।।-
समंदर जैसा दिल उसका और
कतरा जैसे हम,
आंखों में हो बिखरा जैसे
कांच सा ये गम,
चुभते हैं जो बेवजह भी खाली से
ये हाथ,
जिसे पकड़ कर उम्र भर चलने की हुई
थी बात,
मांग लूं या छीन लूं जो दूर गया है मुझसे,
संभाल लूं या छोड़ दूं जो टूट गया है उससे,
धूप सी वो रोशनी हल्की, तुम धुंधला सा
एक ख्वाब,
जावेदा सा वो इश्क उसका, और तुम
उस पर चढ़ता हुआ सबाब।।।-
वो किताबों के पन्ने जिनसे कभी बातें होती थी तेरी, आज वो खफा खफा सी हैं,
ना जाने क्यूं....
मनाऊं भी कैसे क्या कहूं उनसे, जो था कभी खिला खिला, वो बिखरा है खुद में,
ना जाने क्यूं....
खुशबू रिहा कर दिया हमने फूलों से, कि भौंरे अब भटकते नहीं यहां,
बस हम रह गए हैं तन्हा, यहां चंद ख्वाइश लिए,
ना जाने क्यूं....
जिसके हर पल में होते थे कभी, आज उसके एक पल की भी खबर नहीं क्यूं,
कहो तो जाने दूं उन ख्यालों को भी,
जिनसे बांध कर है तुम्हे अब भी कहीं...
ना जाने क्यूं !!-
ये किसकी तुम्हें तलाश है, ये कौन है जो
खो गया,
बातें इतनी देर तक चली, कि वो बीच में ही
सो गया,
क्या कहूं की क्या क्या सोचा था,
पलकों की दहलीज पर एक ख़्वाब रखा था,
शब्दों के ढेर में ऐसा उलझे की बेचारा दिल भी
बच ना सका,
लगा था कहानी लंबी चलेगी, पर न जाने वो
शख्स क्या से क्या हो गया ।।।-
क्या किसी एक के होने से फर्क पड़ता है,
या उसके बदलने से फर्क पड़ता है,
क्या फर्क पड़ता है ज़माने को जब तुम अकेले
होते हो, या वो सुनता है तुम्हे जब तुम
कहीं चुपचाप बैठ कर रोते हो,
क्या सुनता है तुम्हें कोई जब तुम कुछ
कहना चाहते हो, या देता है कोई बिन कहे
अपना हाथ जिसके साथ तुम रहना चाहते हो,
कुछ पल ही सही, कोई कोशिश करता है तुम्हें समझने की,
या करता है कोशिश तुम में प्यार से उलझने की,
बैठते हो जब कभी अकेले, तो सोचते हो कि क्यूं
हुआ ऐसा, या सोचते हो छोड़ो जाने दो जो हुआ जैसा,
क्या कोई समझता है बिन कहे हालात तुम्हारे
और चल पड़ता है पीछे या साथ तुम्हारे,
जो निभाता है किए हर वादे अपने या
बदल लेता है बीच में ही इरादे अपने__
कहने को नही बस, जो होने को हो साथ तुम्हारे
उससे खफा होकर भी क्या होना जो
समझ ले हर अनकहे जज़्बात तुम्हारे ।।।
-
बेखबर सी रात में जो बेहया से ख्वाब हैं जो,
आते जाते ये न जाने क्यूं _
कौन है जो खुश यहां कि कौन है जो रो रहा ,
ये बात भी समझ न पाए क्यूं _
सोचते ये दिन गुजरता, आखों में जो वो है रहता,
बात वो है ना समझता क्यूं _
चल पड़े हैं राह में जो, खामोशी है साथ में जो, करती हैं वो बातें तेरी यूं _
रोक कर जो खुद को रखा, संभल सका न गिर
सका है,
खुद को रखा धोखे में है क्यूं _
रंज ये जो खुद से क्या है, क्या भला है क्या बुरा
है, जिंदगी जो ये खफा है_
सोचता क्या, छोड़ दे ना यूं।।।-
थोड़ा थोड़ा कर बिखेर दिया गया मुझको,
हर बार आहिस्ता आहिस्ता हमने समेटा है खुद को,
मिला तो लगा था कभी बिछड़ेगा नही और
बिछड़ा ऐसे की फिर लौटा ही नहीं___
वो नींदें गवां कर जो यादें बनाई थी,
अब नींदों में जाकर फिर भुलाते हैं उनको,
उम्मीद टूटे एक अरसा हो आया, फिर भी न
जाने एक आस लगाए बैठे हैं,
वो संभाल कर खुद को मुकम्मल कर रहे,
हमने आस में उनके बचाया है खुद को,
जिस राह उसके आने की खबर मिली, उस रास्ते
में जैसे सजाया है खुद को,
वो देख कर भी गुजर गया और नजर तक न डाली, फिर___
रास्ते से उसके उठाया है खुद को ।।।-
वो जो अपना था वो तो कहीं खो गया,
और कोई अजनबी आज अपना हो गया,
शाम ढलते ढलते रस्म - ए - मुहब्बत बदल गई,
रात खफा सी सिर्क - ए - जुदाई बन गई,
न ठहर सका वो लम्हा जिसके पीछे हम भागे थे,
तेरे दर्द में साथ नही, तुझसे भी हम आगे थे,
अब कोई रखे अगर उमीदे - वफा तुम्हारे हाथों में,
तो समझना वो, जो न कह सका उसकी बातों ने,
एक शाम लाना अपने साथ और बैठना एक दफा,
पूछना उससे फिर की उस रोज ऐसा क्या हुआ,
क्यूं हुआ तुमसे कोई इतना खफा....
फिर सुनना उसे फिर से उसकी आंखों से,
और समझना जो वो न कह सका अपनी बातों से।।।-
तू चाहे तो अपना ले या तू चाहे तो ठुकरा दे,
दुनिया की ये रसम पुरानी काम हुए फिर बिसरा दे,
कल ही की तो बात हो जैसे एक अजनबी से दिल टकराया था,
फिर से जीना, फिर से हसना, फिर से दिल को आया था,
सुबह हुई तो सपना टूटा ये तो ख्वाब पुराना था,
आंसू बन कर निकला फिर वो दिल में जो अनजाना था,
दर्पण सा जो बिखरा मन था उसे समेटे लिए हुए,
बंजर मन वो छोड़ आए फिर जिसमें रब्त पुराना था ।।।-