Shikha Kumari   (शिखा✍️)
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Joined 15 April 2020


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Joined 15 April 2020
29 MAY 2022 AT 13:19

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20 FEB 2022 AT 18:00

दिल का दर्द इन कागजों के पन्नों पर बहाती हूं
रंग कर इन कागजों को अपने दिल का हाल सुनाती हूं

जीने के बहाने अब इन्हीं कागजों पर ढूंढती हूं
हंसने रोने के बहाने भी इन्हीं कागजों पर उकेरती हूं

यादों के अफसाने बना इन्हीं पन्नों में , मैं जी जाती हूं
इन कोरे पन्नों पर ही अपने अक्स को सजाती हूं

इन्हीं पन्नों को फिर अपने दिल से लगाती हूं
उम्मीद का दामन थामें , ये जिंदगी की सांसे , मैं जी जाती हूं

दिल का दर्द इन कागजों के पन्नों पर बहाती हूं
रंग कर इन कागजों को अपने दिल का हाल सुनाती हूं

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16 JAN 2022 AT 8:26

कि
ताउम्र तुम मेरे पास रहो
और मैं तुम्हें निहारती रहूं ।

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17 DEC 2021 AT 19:45

किसी के चले जाने से
या किसी के आ जाने से
यह तो केवल वक्त के
साथ बदलता रहता है।

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21 OCT 2021 AT 12:21

मुझ में समाई है
ना कोई उम्मीद ,
ना कोई आश हमने
किसी से लगाई है।

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27 SEP 2021 AT 21:41

मौसम की तरह देखे हैं,
जमाने को बदलते रंग।

अलग अलग रीत है यहां,
अलग अलग है ढंग ।

छोटी सोच देख जमाने के,
दिल भी रह जाते है दंग।

गिरगिटों से अधिक ,
यहां के मानव बदलते है रंग।

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25 SEP 2021 AT 18:11

ये दुनिया दीपक और माचिस की तरह है
जिस तरह दीपक माचिस से जलाने के बाद
माचिस को फेंक दिया जाता है।

उसी तरह यहां के लोग भी अपना
मतलब तक ही याद रखते हैं
फिर पहचानने से भी इंकार कर देते हैं।

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16 SEP 2021 AT 14:09

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13 SEP 2021 AT 11:57

हैं हम
हम रुकना नहीं जानते हैं
हर एक नए रास्तों से गुजर
कुछ नया सीखना चाहते हैं।
यूं ही वादियों में भटक-भटक
हम हर एक खुशबुओं का
राज जानना चाहते हैं।

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12 SEP 2021 AT 13:09

छुपाया नहीं जा सकता
वक्त की हवा सख्त हुई ,
तो बिखर ही जाना है।

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