शायद किसी बहन ने अपने आप को असुरक्षित और किसी भाई ने अपने आप को अकेला पाया होगा।
तब जाकर खुदा ने, भाई -बहन का खूबसूरत रिश्ता बनाया होगा।।
@सुरभि धनगर @
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लम्बे अरसे बाद इक आखिरी मुलाकात थी तुमसे।
वक्त को कैद कर मुट्ठी में ,इक झूठी आस थी तुमसे।।
कि तुम आओगे, हाथ थामकर गले लगाओगे।
नज़रो से ही समझ जाओगे, मेरी खामोशी को सुन पाओगे।।
जात-पात, धर्म,बिरादरी सबको छोड़ साथ निभाओगे।
हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा, वो वादा अपना दोहराओगे।।
पर तुम जो आए, यादों को संजोकर लाए।
मेरे टूटे दिल की आहट को, समझ फिर भी ना पाए।।
खोल मुठ्ठी वक्त को मेरे, तुम आजाद कर चले गए।
मैं लिबास इश्क का ओढ़ी रही ,तुम सब कुछ छीन कर ले गए।।
मोहब्बत आज भी तुझसे उतनी है,पर बची नहीं चाहत तेरी।
कल तक जो तू मेरा था, अब रही नहीं मैं तेरी।।
हो चले गए तो आना मत, पीछे खड़ी हूं मुड़ना मत।
जो बीत गया, सो जाने दो , ज़ख्म हरे है कुरेदो मत।।
मज़ाक बनेगा दुनिया में, वजूद मेरा मिटाना मत।
जहां रहो बस खुश रहो, है बोलना तुमसे कि भुलाना मत।।
@सुरभि धनगर@-
उजाड़ घरोंदा पंछी का,
कब तक खैर मनाएगा?
वक्त का है खेल सारा,
कब तक जान बचाएगा?
@सुरभि धनगर@-
प्रकृति ने आज दिया है,
मुंह तोड़ जवाब।
आक्सीजन की काला बाजारी में ,
मच रहा है हाहाकार।
@सुरभि धनगर@
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नये साल से एक ही रखते हैं हम आस,
बीते पुराने सालों में हो सबसे ये खास।
@सुरभि धनगर@-
बीते पुराने साल में क्या खूब हुआ कमाल,
कोरोना ने कर दिया सबका हाल बुरा बेहाल।
हाल बुरा बेहाल हुआ के अब ना जिया जाए,
नये साल के स्वागत में रोम रोम घबराए।
@सुरभि धनगर@
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हिन्दी हमारी भाषा है, हिन्दी ही हमारी आशा ।
हिन्दी हमारी जाति है, हिन्दी हमारी अभिलाषा ।।
हिन्दी के हम वंशज है, हम ही हिन्द के वासी ।
हिन्दी से ही हिन्दू है हम, हिन्दी से ही हम हिन्दुस्तानी ।।
@सुरभि धनगर@-
शिक्षा ही है प्रथम ज्ञान ।
शिक्षा ही है वेद, पुराण।
शिक्षा ही है जीवन का दान ।
शिक्षा से ही रोशन ज़हान ।
बनें चाहें पुलिस, टी०सी० या डाक्टर महान ।
शिक्षक का ही है योगदान।।
(शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं)
#Happy TEACHER'S DAY
#teacherrecuriment2020
#speakupforteachers
@सुरभि धनगर@
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बारिश-
1. एक खूबसूरत एहसास, अलग अंदाज,
बिन मौसम बरस जाती है।
फूलों की महक, चिड़ियों की चहक,
माटी में सुगन्ध भर जाती है।
बेरंग बादलो में इठलाती धूप संग, इन्द्रधनुष बनाती है।
2. कहीं हंसाती , कहीं रूलाती ।
कहीं चाय की गर्म चुस्की से ,रोम-रोम सहलाती है।
बचपन की अमीरी का एहसास , आज भी दिलाती है।
जब कागज़ की कश्ती पर हो सवार ,
हम सफर बन जाती है।
3. इस वीरानी सी दुनिया में,
रिश्ता सच्चा निभाती है।
गर टूटे दिल तो आंसू संग,
कहीं इजहार-ए- मोहब्बत बन बरस जाती है।
और कुछ इस तरह बारिश जीवन का हर राज छुपाती है।।
@सुरभि धनगर@
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चलो फिर से वो नजारा याद करलें,
वतन की हिफाजत का जिम्मा लेलें!
लडे थे आजादी को हमारे वीर जवान,
आज हम भी कोरोना से आजादी का प्रण लेलें।।
(स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं)
@सुरभि धनगर@
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