Shelja Pandita Kaul   (Dr. Shelja Pandita Kaul)
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PhD Botany.Agronomist.
Joined 6 July 2019


PhD Botany.Agronomist.
Joined 6 July 2019

रेगिस्तान सा यह जीवन
कही बंजर कही हरा भरा
मृगतृष्णा है यह जीवन
दूर का हर रिश्ता है खास
करीब के रिश्ते से हर कोई उदास

रेगिस्तान सा यह जीवन
कभी कड़कती धूप
कभी कड़कती सर्दी
रेत का भवंडर यह जीवन
आगे की कुछ खबर नही
पीछे जाना मुमकिन नही
रेगिस्तान सा...
Dr Shelja Pandita Kaul

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1 JUL AT 14:02

रात की आगोश में चाँद है
तारे कर रहे आपस में कुछ बात है
इन सूनी गलियों में गूंज रही हर बात है
सो गए सब लोग यहॉं
ख़्वाबों में कर रहे किसी से बात है
हम अकेले ही जागे सारी रात
बस यादों में गुज़ारी सारी रात
रात की आगोश...

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29 JUN AT 13:55

इस उम्र की दहलीज पर
ख़ामोशी से यारी की
ज़िन्दगीभर जिन से गुफ़्तगू की
उन्हे समझ न आई बाते मेरी

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22 JUN AT 21:24

सवाल बनकर रह गई ज़िन्दगी
जवाब ढूंढने में सारी उम्र यूँही निकल गई

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17 JUN AT 14:34

ग़म का रिश्ता होकर भी
जाने क्यों कोई रिश्ता नही

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4 JUN AT 18:29

दिये की लौ है यह ज़िन्दगी
आंधियों से बुझती नही
बुझती है जब टूटे साँसों की डोर

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1 JUN AT 18:15

हज़ारो दर्द लिए हुआ यह दिल
धड़कता है अपनो के लिए
फिर भी बेख़बर है हर कोई दर्द से मेरे

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25 MAY AT 17:57

फुर्सत के पल कहां है ज़िन्दगी में
बस खुश रहने की चाह में
पिस गये हम तो जहान में

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23 MAY AT 17:40

लम्हा लम्हा ज़िन्दगी बीत गई
जाने क्यो आज के मुखौटे में
बीती यादों में उलझ गई

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17 MAY AT 13:51

कब किसने जाना
जीवन का फ़साना
हर मोड़ पर है
धुंधला सा नज़ारा

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