एक मुकाम हो,
जिसमें मेरा नाम हो..-
पंरतु
सब कुछ गलत भी नहीं❌ होता.
कोई मिले तो उसे गुलाब लिखूं
हर सवाल का उसे जवाब लिखूं
चाँद तारे तो सब लिखते है
मैं ही पागल जो उसे ख्वाब लिखूं
'शेखर सागर'
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देखुं तुझे तो कोई चाँद नजर आया है
ये जो जुल्फें है तेरी कोइ मकां का साया है
तेरी हसरतों की इबादत करता रहूँ
क्यों कि यह सब सौदंर्य की माया हैं
'शेखर सागर'-
काटों से भरा ये गुलाब है
न जाने कितनो का ये ख्वाब है
कोई इसे तोड़ कर फेंक देते है पर
कईयो ने बनाया इसे अपना जवाब हैं..
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मुझे बात करने का अक्ल तो नहीं
पर तेरी बातों से सवर सकता हूँ मैं
तूम हाँ में हाँ मिलायेगी अगर
तो तेरी जिंदगी की राह से गुजर सकता हूँ मैं
'शेखर सागर'
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एक लम्हें में शुरुआत की थी
एक दायरे में खत्म हो गई
ये जिंदगी ही तो थी
मरहम लग लग कर नम हो गई..
'शेखर सागर'-
इस कदर चाहो मुझे
कि अपनी चाह मे सजाओ मुझे
चाहे जमाना कुछ भी कहें
अपनी चाहत बनाओ मुझे
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इस खूबसूरत हुस्न पर गुरूर तो होगा ही
यु आँखों की तेरी अदाओं पर पिघलेगा ही
थोड़ा दसतरस खाया करों ये हसीनाओं
वरना तेरे प्यार में आशिक मरेगा ही.
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