Shekhar Shikhar   (Shekhar-शिखर)
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बेतहाशा टूट कर फिर से बना हूँ
वो दरख़्त हूँ, जो अपने ही ठूठ से बना हूँ
Joined 18 September 2019


बेतहाशा टूट कर फिर से बना हूँ
वो दरख़्त हूँ, जो अपने ही ठूठ से बना हूँ
Joined 18 September 2019
22 AUG 2023 AT 23:46

प्रिय रोशनी,

जन्मदिन की शुभकामनाएं ! इस साल मैं तुम्हारे लिए कुछ लिख नहीं सका,जाने क्यों ये लेखन कौशल मुझ में ही कही गुम हो गया है, उम्र की सफेदी ने शब्दों की काली स्याही को सुखा दिया है शायद, पर तुम खुद एक कविता जैसी हो कोई कवि, कविता पर कविता कैसे लिखे तो इस बार कविता न सही पत्र सही, वैसे हम में पत्र का एक रिश्ता तो कायम ही है,
शादी के 4 साल में अब तुम्हे पहले सा शेखर कही मिलता नहीं होगा। ये शेखर कुछ मामलों में बदतर तो कुछ में बेहतर जरूर हुवा है पर यकीन जानों तुम्हें प्यार करना ये दिल भूला नहीं तुम्हें देखते रहना ये आँखे भूली नहीं, तुम हमेशा से वो स्पंदन हो जिसने इस दिल को जिंदा रखा है और मुझे जिंदादिल ।

तेरे छूने से जी पड़ने वाला
तेरा
शेखर(आर्ची का पापा) 😇

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8 MAR 2023 AT 6:25

खबरें दब गई कोने में,अखबारों ने विज्ञापन वाली जगह ले ली है
पर बुरा न मानो होली है ।

सड़कें कूंवें हुए जाते और खड्डों ने सड़क की जगह ले ली है
पर बुरा न मानो होली है

बेरोजगारी ही रोजगार हुई है, रोजगार ने छुट्टी ले ली है
पर बुरा न मानो होली है ।

गले लग प्यार रंग लगा अपनापन ये खुशियां insta ने ले ली है
पर बुरा न मानो होली है।

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10 FEB 2023 AT 10:22

यादों के लिफाफे में सहेज के कहानी रखी है
संभाल के मैंने तेरी हर निशानी रखी है ।

बचपन फिर से देखना चाहती हूँ तेरा
नए अल्बम में तस्वीर फिर पुरानी रखी है ।

इमली सी खट्टी तो मुरब्बे सी मीठी बातें
तेरी हर कहानी मैंने मुंह जबानी रखी है ।

एक रिश्ते में बेटी सी सहेली पा ली मैंने
मुरलीवाले ने मुझपे कितनी मेहरबानी रखी है ।

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8 FEB 2023 AT 10:23

एक खूबसूरत रिश्ता है, निभाओगी क्या
मेरी बिखरी किताबों को करीने से सजाओगी क्या ?

अच्छा सुनो,रात का खाना मेरे हिस्से आया,माना
मेरी खातिर अदरक कूट के चाय बनाओगी क्या ?

मुझे लगता है,इश्क की लकीर है मेरे हाथों में
ज़रा मेरा हाथ थाम के आजमाओगी क्या ?

ये तेरे नाम में उजालों ने अपना घर किया है
मेरे अंधेरे कमरे में अपनी शमां जलाओगे क्या ?

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28 JAN 2023 AT 9:57

थका हुआ शहर गाँव की तरफ भागता है ।
गाँव,शहर हुए जाते है,हर कोई देर तक जागता है ।।

जिंदगी तुझसे बड़ा बाज़ीगर कोई भी नहीं ।
जिसे भी देखिए तेरे इशारों पर नाचता है ।।

सब्जों बाग के शौकी गमलों से घर सजाने वाले,
ज़रा पूछिये इनसे घर बनाने पेड़ कौन काटता है ।।

सभी मे एक रंग लहू, एक ही नसल इंसानी
इनको मज़हबों, रंगों में कौन बांटता है ।

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25 JAN 2023 AT 13:30

झलल्लाहट,चिल्लाहट और झुंझलाहट सब भूल कर
वो देखती है मुझे ऐसे जैसे कुछ हुवा ही नहीं ।


सिखलाया उसने,करनी है नई शुरुवात फिर से
ये सोचकर के कल को कुछ हुवा ही नहीं ।।

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26 DEC 2022 AT 7:31

ख्वाब को हकीकत का गुमां हो,
तो सहम जाता हूँ मैं

उसी जगह मिलते है हम अक्सर,
जहाँ तू हो कर भी नही होता

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4 OCT 2021 AT 0:22

अंधेरा मिटाने का एक काम था अदना सा
चराग़ जलाना था, वो घर जला आया ।

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26 SEP 2021 AT 17:02

कोशिशें तमाम हुई ज़ाया हम पर
मगर इन घुटनों को न झुकना आया ।

यूँ भी नहीं के टूटे न हो हम कभी
मगर टूट कर भी न बिखरना आया ।

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10 SEP 2021 AT 12:35

गांव हुए,शहर से चूल्हा नही जलाता कोई
बूढ़ा शज़र है चुप,अब किस्से नही सुनता कोई ।

आसमां के सितारे ज़रा और दूर हुए लगते है
अब बच्चों को काँधे पर कहा उठाता है कोई ।

उसे यकीं,परिंदा पिंजड़े में खामोश रहेगा
उड़ने वालों पर यूँ लगाम नहीं लगता कोई ।

ये हुनर किसी किसी को ही आता है साहब
अपनी चिंगारी से अपना घर नहीं जलाता कोई ।

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