जब मिलेंगे अंजान-ए-शहर में
खुरदुरापन सा प्यार लेकर ,
मखमली सा दिल लेकर
तब क्रेंक-डेंजर हाइवे भी
हमारी इमोशनल फिलिंग्स से
स्मूद-ओसम रोड़ बन जाएगा ।
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Book- " ज्ञान कि पिपास " ( आध्यात्मिक ) ,
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पलभर में तुम्हें....
भूल जाना आसान नहीं है
पर वक़्त भी इतना नहीं है कि
तुम्हें मिलकर मना पाऊं ,
गलतफहमियां इतनी बढ़ गई है कि
अब समझौता भी कम पड़ जाता है ।।
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' अकेला '
इतना दूर..
चले जा रहा हूं ,
जलील-ए-इश्क़ से
अंजान था, अंजान ही रहूंगा
कभी ठहरूंगा बुलंदियों पर
तभी ' पगली '...
मुड़कर रो मत देना ,
नहीं तो आंसू के सैलाब में
तन्हा डूब जाऊंगा ।।-
पगलेट अंखियों पे
गोगल्स-बोग्लस लगाकर ,
तंग-वंग गलियों में
ऐसा भौकाल मचाएंगे की
पुरा मोहल्ला हमें..
आशिक-ए-दिवाना कहेंगी ।।-
इतना दूर न हो पाया
तेरे पास मिलकर ,
इतना करीब न हो पाया
जितना कल था, आज उतना बन पाया ।।-
तब-तब मेरे ज़र्रे ज़र्रे में मिला
तेरे रुहानी इश्क़ का एहसास....-
वो कदि....,
गली चौराहे पर
ठाट-बाट से, इक दफ़ा
जरा खुलके हंस दें
तो मेरे सोये अरमां भी
भीतर से कूद पड़ते हैं
उमड़ उमड़कर उसकी
इक कातिला झलक पाने
उधेड़-बुन दौड़ते है
नैन कमल को देखने
अल्हड़ बच्चे की भांति
उछलते-कूदते हुए
दिल को खूब रिझाते हैं ।-
दिल का ये फ्लावर है
फेब्रुअरी का ये फ़ायर है
चढ़ा है अभी-अभी
फोरेन का ये वायरस
लव का लवरिया लेकर ,
थांसू मुलाकात का रवैया है
अकडू स्टाइल का ये पंगा है
चल आज देशी-विशी छोड़कर ,
इंग्लिश-विंग्लिश बनते हैं
पार्क-वार्क में बेशर्म बनते है ।-
क्षण-क्षण में मिला
ममतामय....
अद्भुत-अप्रतिम स्नेह
चुंबन- आलिंगन तृप्त
आत्मिक- अपनत्व से
निश्छल-निस्वार्थ विस्तृत ,
न छल कपट का व्यवहार
न दिखावे का ढोंग-वोंग
बस डांट, थपकी में
खट्टी-मीठी बातों में
मधुर अमी वर्षा मिलती
प्रणय से बढ़कर ये रिश्ता,
हृदय से गहरा ये वास्ता
सहस्त्र बार पुष्प अर्पित करूं
मां के चरण स्पर्श पाकर ,
हो जाऊं धन्य जीवन भर ।।-
चल मौका-ए-दस्तुर है
इश्क़-विश्क़ करते हैैं
तंग-वंग गलियों में
फिलिंग्स-विलिंग्स से ,
फ़ायर-बायर से
दिल-विल किल करते हैं
रोमांटिक मूड बनाते है ,
लिप्स-विप्स टकराते हैं
किस-विश का
जंग-ए-ऐलान करते हैं ।
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