Sheikh Mohammad Junaid   (S.M. Junaid)
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Joined 25 May 2020


Joined 25 May 2020
22 MAY 2022 AT 23:32

दिल फिरता है दर-बा-दर उसे आराम नहीं हैं,
तन्हाई खत्म हो जाये ऐसी कोई शाम नहीं हैं,
©Junaid
गुज़िश्ता वक़्त कितना हसीन था इश्क़ का,
अब इश्क़ के गिलास मे इश्क़-ए-जाम नहीं है।

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7 APR 2022 AT 12:33

ज़िंदगी के भी कितने बेतहाशा अजीब मोड़ है,
टूटे हुए इस दिल मे ना जाने कितने जोड़ है,
©Junaid
हर मरहले पर उलझन-ही-उलझन है यहाँ,
क्या इन उलझनों से निकलने का कोई तोड़ है।

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24 JAN 2022 AT 13:57

उनसे बिछड़ कर हम बहुत रोये थे,
जिनकी आँखों मे कभी हम खोये थे,
©Junaid
उसके गर्म आँचल का एहसास बरकरार है
अब भी, जिसमे चैन से कभी हम सोये थे।

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14 DEC 2021 AT 14:53

आसमाँ पे सदैव जगमगाता नाम हो आपका,
सफलता इस जन्मदिन पर ईनाम हो आपका,
©Junaid
अपने नाम की तरह सदैव यूं ही मुस्कुराती रहो,
दुआ है मेरी यही सदैव ऊँचा मुकाम हो आपका।

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1 DEC 2021 AT 23:57

ख़ुदा के बनाये लोगों मे निराली मूरत है वो,
इस ज़मी पे उतरी इक नायाब नियामत है वो,
©Junaid
दुआ है कि हर मरहले पे सुर्ख़-रु हो क्योंकि,
बेइंतेहा ही उम्दा स्वाभाव वाली "जन्नत" है वो।

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23 NOV 2021 AT 22:09

उनसे कहने को अब मेरे दिल मे कोई जज़्बात नहीं है,
तकिया मेरा अश्कों से ना भीगे ऐसी कोई रात नहीं है।

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23 NOV 2021 AT 21:59

आफ़रीन के चेहरे का नूर

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22 NOV 2021 AT 21:31

चाँद की चाँदनी से भी ज़्यादा हसीन है,
कहकशाँ से भी प्यारी इक मेहजबीन है,
©Junaid
चाँद भी हैरान हो जायेगा तुम्हे देखकर,
मुझे अक्स तुम्हारा लगता जैसे शाहीन है,
©Junaid
चाँद के नूर की तारीफ़ सब करते है मगर,
उसके नूर से ज़्यादा तुम्हारा नूर "आफ़रीन" है,
©Junaid
क्या लिखे "आफ़रीन" की तारीफ़ मे अब हम,
अगर नाज़ करे खुद पर तो वो तो नाज़नीन है।

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22 OCT 2021 AT 20:48

फिर अपनी हवस की आग जलाई किसने,
मज़लूम के घर की रोशनी बुझाई किसने,
©Junaid
एक बार सोचा होता उसे नोंचने से पहले,
तुम्हे ये बलात्कार की राह दिखाई किसने,
©Junaid
आबरू बड़ी ही हैवानियत से लुटी उसकी,
इंसानियत फिर से शर्मसार करवाई किसने,
©Junaid
हैवानियत की सारी हदे पार हो गई उस दिन,
रूह फिर किसी निर्भया की तड़पाई किसने,
©Junaid
यहाँ बलात्कारो का सिलसिला कब थमेगा ?
रेप की यह घिनौनी प्रथा फिर निभाई किसने।

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21 OCT 2021 AT 18:29

कल रात मेरा खुद से ही विवाद हो गया,
तुम्हारी यादो से वक़्त बहुत बर्बाद हो गया,
©Junaid
धीरे-धीरे अश्क़ रुखसारों से बहते गए,
हद से ना चाहने का सबक याद हो गया,
©Junaid
दिल तोड़ने का इंतेज़ाम पूरा था तुम्हारा,
मै मैदान-ए-इश्क़ मे तेरे ना-मुराद हो गया,
©Junaid
दिल के टुकड़े हो गए थे तुमको याद करके,
मुश्किल से ही सही उनका इत्तिहाद हो गया,
©Junaid
तुम चली गई किसी और के आशियाने मे,
मेरा घर तुम्हारी यादों से आबाद हो गया।

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