कल रात मेरा खुद से ही विवाद हो गया,
तुम्हारी यादो से वक़्त बहुत बर्बाद हो गया,
©Junaid
धीरे-धीरे अश्क़ रुखसारों से बहते गए,
हद से ना चाहने का सबक याद हो गया,
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दिल तोड़ने का इंतेज़ाम पूरा था तुम्हारा,
मै मैदान-ए-इश्क़ मे तेरे ना-मुराद हो गया,
©Junaid
दिल के टुकड़े हो गए थे तुमको याद करके,
मुश्किल से ही सही उनका इत्तिहाद हो गया,
©Junaid
तुम चली गई किसी और के आशियाने मे,
मेरा घर तुम्हारी यादों से आबाद हो गया।
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