बस एक यही मसअला था ज़िंदगी में बड़ा
हर पल हमें मस्लहत से ही काम लेना पड़ा
शहला जावेद-
Shehla Jawaid
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Joined 3 May 2018
28 JUL AT 12:15
23 JUL AT 12:39
वो शख़्स जो बड़े एहतराम से दिल को आज़ार करता है
के उस से कुछ कहना सुन ना भी हमे बेज़ार करता है
शहला जावेद-
4 JUL AT 20:33
कुछ भूले ख़त ले आता नामा-बर याद दहानी के लिए
के मुश्किल है जीना बस पशेमानी के लिए
शहला जावेद-
2 JUL AT 12:56
फ़क़त एक बेरुख़ी सौ चुप लगा गई
वैसे कहने सुनने की बातें थीं हज़ार
शहला जावेद-
23 JUN AT 10:20
उन दरों दीवार पे यूँ चुप सी लगी थी
हम मुसलसल आसमान से मुख़ातिब रहे
शहला जावेद-
3 JUN AT 10:18
कुछ ख़्वाबों की आबरू
नींदों ने रख ली
कुछ बस यूँ ही ज़ाया हो गए
शहला जावेद-
26 MAY AT 11:30
वो शाम ढलती रही
कोई याद बरसती रही
फ़क़त था धुआँ उसमें
वो लौ जो सुलगती रही
शहला जावेद-
24 MAY AT 23:50
वक़्त को रोकने की कोशिश में और वक़्त निकल गया
हम तो वहीं रुके रहे मगर हमारा वक़्त निकल गया
शहला जावेद-