Sheetal Porwal   (Sheetal_porwal)
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Joined 14 February 2018


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Joined 14 February 2018
2 JUL AT 0:59

तुम खामोश हो जाना किसी से कुछ ना कहना अपनी बात मन में रखना ऊंची आवाज में बात नहीं करना
तुम सपने मत देखना क्योंकि हम तुम्हे पूरा करने नहीं देंगे
तुम समाज का सोचना क्योंकि चार लोग बातें बनाएंगे तुम परदे में रहना क्योंकि बिन परदे तुम्हें लोग देख लेंगे
तुम मर्यादा में रहना क्यूकी लड़की शादी से बाहर अच्छी नहीं लगती अक्सर ये कहने वाले मर्द घर पर खुद कच्चे में घूमते हैं दूसरे की औरत को जज करते हैं और अपनी मर्यादाएं खुद लंग जाती हैं

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1 JUL AT 15:52

जब मुझे देख लोगे गले लगाने से खुद को रोक नहीं पाओगे अपनी आंखों से आंसू को छुपा नहीं पाओगे आओगे पीछे पीछे मेरे पर मुझसे बात करने को खुद को रोक नहीं पाओगे

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29 JUN AT 19:38

थक चुकी हूं मैं अब उन रिश्तों से जो कभी मेरे थे नहीं थक चुकी हूं मैं अपनों से जो पीठ पीछे मेरे अपने थे ही नहीं सामने से लोग कुछ और पीछे से कुछ और है अब बस अब नहीं होता मुझसे रिश्ता निभाना यह ख्वाब देखना अपनों को आजमाना अपनों से दूर होना अब मैंने सीख लिया है खुद में खुश रहना खुद के साथ खुश रहना और खुद के लिए खुश रहना!

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21 JUN AT 1:26

रात क्यूं खामोश है ??

रात इसलिए खामोश है क्योंकि कोई इस रात में रो रहा है तो कोई सो रहा है किसी के लिए इंतज़ार की रात है तो किसी के लिए बस थाम जाने की रात है किसी को सितारों का इंतज़ार है तो किसी को सुबह उगते सूरज का इंतज़ार है किसी को किसी के सवाल का इंतज़ार है तो किसी जवाब का इंतज़ार है ये रात है छोटी पर कुछ के लिए ये बहुत बड़ी रात है इसलिए आज रात खामोश है......

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21 JUN AT 1:20

राम जैसा भरोसा मुझ पर मत करना कृष्ण जैसा प्यार मुझसे मत करना रुक्मणी सा इंतजार मुझसे हो नहीं पाएगा और शिव जैसा तुम प्यार कर नहीं पाओगे

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20 JUN AT 2:03

लाडाली अपने चरनो में रख लो मुझे मेरा जीवन भी सफल हो जायेगा मौत आनी होगी तब राधे जप लू तो उद्धार हो जाएगा

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19 JUN AT 2:13

वक्त बीत गया दिन निकल गए तू आज भी वासा जेसा पहला था पर मैं वैसी नहीं रही जो पहले थी
मेने रोना छोड़ दिया बातें करना छोड़ दिया दिल लगाना छोड़ दिया किसी को कुछ बताना छोड़ दिया
मैं वैसी नहीं जेसा तू छोड़ गया था मैं किसी की नहीं, अब सिर्फ राधा रानी की हो गई वक्त बीत गया दिन निकल गया!!!! राधे राधे

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15 JUN AT 1:57

मी ज्या प्रकारे शांत होतो आणि मी एकटा होतो त्यावरून मला प्रेमाची भावना जाणवते कारण त्या काळात माझा अंतर्ज्ञानाचा आवाज मोठा झाला आणि मी स्वतःला घरी बोलवू शकलो....

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21 APR AT 12:47

समाज को पसंद आती है
अत्याचार सहने वाली चुप रहने वाली
और अपने सपनों का गला घोंटने वाली स्त्री तुम
समाज को क्रोधित कर देना पर ये सब मत करना

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17 APR AT 23:58

Ab Dard chhupana a gaya ab rishte nibhaanaa a Gaya Na jaane kis ghadi mein hamen Sath nibhaanaa a Gaya vah Aksar hamen batate the din Raat akele baithe Hain ab Ham unhen Kya samjhaen Ham bhi tanha akele baithe Hain jindagi ki is bheed mein humne khud Ko Kho Diya woh kisi ke ho gaye akasar hum tanha reh gaye....

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