थक चुकी हूं मैं अब उन रिश्तों से जो कभी मेरे थे नहीं थक चुकी हूं मैं अपनों से जो पीठ पीछे मेरे अपने थे ही नहीं सामने से लोग कुछ और पीछे से कुछ और है अब बस अब नहीं होता मुझसे रिश्ता निभाना यह ख्वाब देखना अपनों को आजमाना अपनों से दूर होना अब मैंने सीख लिया है खुद में खुश रहना खुद के साथ खुश रहना और खुद के लिए खुश रहना!
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Use my #sheetalpoem
कभी कभी ज़िन्दगी की खोज में हम इतना खो जाते है की ख... read more
रात क्यूं खामोश है ??
रात इसलिए खामोश है क्योंकि कोई इस रात में रो रहा है तो कोई सो रहा है किसी के लिए इंतज़ार की रात है तो किसी के लिए बस थाम जाने की रात है किसी को सितारों का इंतज़ार है तो किसी को सुबह उगते सूरज का इंतज़ार है किसी को किसी के सवाल का इंतज़ार है तो किसी जवाब का इंतज़ार है ये रात है छोटी पर कुछ के लिए ये बहुत बड़ी रात है इसलिए आज रात खामोश है......-
राम जैसा भरोसा मुझ पर मत करना कृष्ण जैसा प्यार मुझसे मत करना रुक्मणी सा इंतजार मुझसे हो नहीं पाएगा और शिव जैसा तुम प्यार कर नहीं पाओगे
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लाडाली अपने चरनो में रख लो मुझे मेरा जीवन भी सफल हो जायेगा मौत आनी होगी तब राधे जप लू तो उद्धार हो जाएगा
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वक्त बीत गया दिन निकल गए तू आज भी वासा जेसा पहला था पर मैं वैसी नहीं रही जो पहले थी
मेने रोना छोड़ दिया बातें करना छोड़ दिया दिल लगाना छोड़ दिया किसी को कुछ बताना छोड़ दिया
मैं वैसी नहीं जेसा तू छोड़ गया था मैं किसी की नहीं, अब सिर्फ राधा रानी की हो गई वक्त बीत गया दिन निकल गया!!!! राधे राधे
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मी ज्या प्रकारे शांत होतो आणि मी एकटा होतो त्यावरून मला प्रेमाची भावना जाणवते कारण त्या काळात माझा अंतर्ज्ञानाचा आवाज मोठा झाला आणि मी स्वतःला घरी बोलवू शकलो....
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समाज को पसंद आती है
अत्याचार सहने वाली चुप रहने वाली
और अपने सपनों का गला घोंटने वाली स्त्री तुम
समाज को क्रोधित कर देना पर ये सब मत करना-
Ab Dard chhupana a gaya ab rishte nibhaanaa a Gaya Na jaane kis ghadi mein hamen Sath nibhaanaa a Gaya vah Aksar hamen batate the din Raat akele baithe Hain ab Ham unhen Kya samjhaen Ham bhi tanha akele baithe Hain jindagi ki is bheed mein humne khud Ko Kho Diya woh kisi ke ho gaye akasar hum tanha reh gaye....
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Maine kaha tha use ek had Tak sah paungi Maine kaha tha use ek had Tak sah paungi use kya Laga tha main wapas a jaaungi
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Tumhara paper kesa Gaya
kuch paise chiye ho to batana
tum thik to ho na
aaj pura din kaha the tumhne call ku nahi kia
ye sawal keval premikayo ne hi pucha hai
roz sham ko Ghar lautate waqt aptniyon ne mangi saree na manga waqt na manga prem tumhri sangarzh ki sathi premika ne tumhri kamyabhi ke sapne dekhe hai or usey pura karne ke liye tumhe sadev tumhre sath kadi rahi ushne us sindoor ki bhi kimat ada ki jo kabhi unke hissey me aya hi nahi hai
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