बचपन सँवारो,
बच्चे को झूठ, फ़रेब
और नशे से बचाकर रखो।
बच्चे जैसा देखेंगे, वैसा ही सीखेंगे।
यह बहुत बड़ा प्रामाणिक सत्य हैं।-
आपका बचपन कैसा गुजरा?
इसी से आपका भविष्य निर्धारित होता हैं।
अपने बच्चों को अच्छा बचपन और
अच्छा माहौल दीजिए,
अगर आप ऐसा नहीं कर सकते
तो बच्चे पैदा ही मत कीजिए।
एक बच्चे को अच्छा वातावरण देना ही
सबसे पहली आवश्यकता हैं जो कि
शिक्षा से भी ज़्यादा ज़रूरी हैं।
इसी से परिवार की स्थिति में सुधार होगा,
इसी से समाज में भी सुधार होगा और
इसी से आने वाली पीढ़ियों को
अच्छा जीवन मिलेगा।-
मैंने बचपन से ही अक़्सर
अपने मन को मारा हैं।
किसी ने ऐसा करने के लिए कहा नहीं,
फिर भी मैंने किया।
फिर एक दिन
बार बार मारे गये मन में
ये ख़याल आया कि
असल मे
ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर दी जाती हैं।
मेरा विश्वास हैं कि
तुमने भी ऐसा किया होगा।
हम जिस समाज में रहते है
वहाँ मन को मारना भी एक नियम हैं
स्वतः संचालित नियम।-
मेरे पास
एकमात्र ज़िंदगी थी,
फिर भी
मैंने यात्राओं के सपने
हमेशा कल के लिए देखे,
और वो कल
आज तक नहीं आया।-
अगर तकलीफ़ देती हैं
तो उन्हें भूलकर आगे बढ़िये,
और सुकून देती है तो
मुस्कुराकर आगे बढ़िये।
बढ़ते रहने में ही
जीवन का सार हैं।-
बुआ और भतीजे के बीच
भाभी की बातें न आए
तो भतीजा
भाई जितना प्यारा बन जाता हैं। 😅
भाई और बहन के बीच में
भाभी न घुसे तो भाई
पिता जितना प्यारा बन जाता हैं😄-
मैंने मुस्कुराना चाहा मगर
ज़िंदगी में बेहद ग़म ही मिले
मैंने जीभर के जीना चाहा मगर
जीने के फ़साने कम ही मिले।-
इश्क़, मुहब्बत, प्यार, वफ़ा बस चार दिनों तक रहते हैं
इस राह पर चलते वाले मुसाफ़िर, ऐसी बातें कहते हैं।-