Sheena Bhati   (शीना भाटी)
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Joined 31 December 2020


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6 MAY AT 17:48

ज़ीवन में और कुछ नहीं पर
इतना ज़रूर किया जाये
कि जितने फल खाये जायें
उतने पेड़ भी लगाए जाए।
मेरा जी चाहता हैं कि
मेरे बाद या तो मेरे बाद
मेरा पूरा शरीर दान कर दिया जाये
या फिर मेरे बाद उस ज़मीन पर
एक ख़ूबसूरत पौधा लगाया जाए।
जिस जगह मुझे दफ़नाया जाए।
बेशक हमेशा के लिए चली जाऊँगी मैं
मग़र इस मिट्टी में मेरी निशानी
बरकरार रखी जाए।
मेरे शरीर के अवशेषों से
पुनः पोषित कर प्रकृति को
हरियाली का उपहार दिया जाए।

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6 MAY AT 17:35

हर रोज़ थोड़ी थोड़ी ज़िन्दगी ख़त्म हो रही हैं।
इसे ख़ुराफ़ातों में और चालबाज़ियों में,
दूसरों की ज़िन्दगी में टांग अड़ाने में मत ख़राब करो।
अपने घर के मामलों में दूसरों को मत घुसाओ।
अपना काम ईमानदारी से करो, किसी के लिये मुसीबत मत खड़ी करो।
किसी को प्रेम नहीं दे सकते तो नफ़रत भी मत दो।
अच्छा करोगे तो सुख पाओगे, बुरा करोगे तो दुख उठाओगे।
हमेशा दूसरों से उम्मीद क्यों लगाते हो कि
इसने ये नहीं किया वो नहीं किया ?
कभी ये भी सोचो कि तुमने क्या कर दिया ऐसा कि
कोई तुम्हारे लिए कुछ करेगा।
ख़ुद किसी की एक टके की मदद नहीं की,
बदले में हज़ारों के फ़ायदे की उम्मीद पालना सबसे ओछी बात हैं।
उतनी ही उम्मीद रखो जितना तुमने किया हैं। इसी में सुख हैं।
अबस अरमान दुःख का कारण बनते हैं।
सूकून चाहिए तो सुकून का कारण भी बनो।

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29 APR AT 22:35

ग़ुलाम, लाचार, मजबूर औरतें थीं वो
जिनको शिक्षा और जागरूकता से
इसलिए दूर रखा गया था ताकि
उन पर हुकूमत की जा सके।
उन औरतों ने बहुत ज़ुल्म सहे थे,
उसके बावजूद उन्हें जिस साँचे में ढाला गया
उसमें ढलती रहीं, सहतीं रहीं।
उन सभी बेक़ुसूर सीधी सरल औरतों से
जितनी माफ़ियाँ माँगी जाए उतनी कम होगी।

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21 APR AT 23:55

अकेलापन
सामर्थ्य को
परखने के लिए मिलता हैं
उसको बहाना मत बनाइए बल्कि
अवसर में तब्दील कर दीजिए।
कई लोग आपसे उम्मीद लगाकर बैठे हैं,
अपनी ताक़त को दुगुना कीजिए
पूरी तरह केंद्रित होकर
समर्पित भाव से लक्ष्य साधिये।
उस तरह सपनों को धरातल पर ले आइए
जिस तरह की महज़ बातें करते हैं लोग।

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21 APR AT 23:48

परिणाम
प्रयासों पर
निर्भर होता हैं।
प्रयास यदि
बेहतर होंगे तो परिणाम भी
बेहतरीन आएगा।
परिणाम का
आशानुरूप न होना
आपके प्रयासों की
कमी को इंगित करता हैं।
कई बार व्यवस्थाएँ
प्रयासों पर पानी फेर देती हैं
फिर भी प्रयासों की रफ़्तार में
निरंतरता हो तो परिणाम
किसी अनोखे रूप में
आश्चर्यचकित कर देता हैं।

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21 APR AT 23:18

अगर आप को प्यार करने वाला एक परिवार हैं,
आपके बिना उस परिवार का सबकुछ उजड़ जाएगा, तो
कभी भी शराब नहीं पीने की क़सम खा लीजिए।
दारू शरीर में जाके क्या करता हैं?
पच जाता हैं या शरीर के अंगों को डैमेज करता हैं?
बाहर से शरीर फिट दिखता हैं लेकिन अंदर से खोखला हो जाता हैं।
आपको तब पता चलेगा जब कोई दर्द सामने आएगा और
आप हिस्पिटल में जाँच की प्रक्रिया पूरी करोगे।
आप हैं तो आपके परिवार की सभी इच्छाएँ पूरी हो रही हैं।
आपको कुछ हो जाएगा तो आपका परिवार ख़त्म हो जाएगा।
आपके बच्चों के भविष्य के बारे में आपसे बेहतर
और कोई नहीं सोच सकता।
इसलिए हर तरह के नशे से दूर रहिए
और उन बच्चों का जीवन सुधारिये जो
आपकी वजह से इस दुनिया में आये हैं।

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21 APR AT 21:01

लोगों ने बहुत ज़हर उगला हैं।
घरों में, रिश्तों में, समाज में, हर जगह
ज़हरीले शब्द किसी की ज़ुबान से होकर
किसी के कानों तक जाते हैं और फिर
चाहे खून के रिश्ते हो या दिल के रिश्ते हो,
अगर उनके ख़िलाफ़ रोज़ाना कोई आपके कानों में
थोड़ी थोड़ी नफ़रत की खुराक देता रहे तो फिर
एक दिन ऐसा आता हैं कि आप उस इंसान की
तमाम अच्छाई भुला देते हो और आपके दिमाग़ में
केवल वही चित्र रहता हैं जो नफ़रत के ज़हर से बनाया गया।
फिर आप इतना भी सोचने के लायक़ नहीं रहते कि
कुछ साल पहले तो सब ठीक था, अचानक कैसे
वो लोग बुरे हो गये जिन्होंने हमेशा मेरा भला चाहा।
अब तक सभी अच्छे-सच्चे थे अचानक रिश्ते सियाह कैसे हो गये।
इसके बाद अगर कोई आपके सामने सच्चाई पेश करे तो अब
आपके लिये वो सच स्वीकार करना असंभव सा हो जाता हैं
क्योंकि रोज़ नफ़रत की खुराक दी जाये तो
एक दिन प्रेम मर जाता हैं।

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20 APR AT 22:20

समझदार लोग सच तक पंहुच पाते हैं,
निष्पक्ष लोग सच को स्वीकार पाते हैं।
और
चमचायुग में निष्पक्ष बने रहना
तलवार की धार पर गर्दन रखने जैसा हैं।

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20 APR AT 17:11

घर, परिवार, समाज और तमाम दुनिया
हर जगह पछतावा छाया रहता हैं
जब लोगों में सही वक़्त पर
सही समझ विकसित नहीं हो पाती।

कितने ही घर सिर्फ़ इसलिए बर्बाद हैं
कि लिया गया महत्त्वपूर्ण निर्णय
समझदारी भरा नहीं था।

किसी की ज़िन्दगी इसलिए तबाह हैं
कि निर्णय तो लिया मग़र
सही वक़्त पर नहीं।

मन का द्वन्द्व भी
इसी समझ और नासमझी का
एक उत्पाद हैं जिसके चलते
इकलौती नन्ही-सी ज़िन्दगी के
तमाम क़ीमती लमहे तहस नहस हो जाते हैं।

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20 APR AT 16:45

एक
साहित्यप्रेमी
दूसरे
साहित्यप्रेमी से
कभी
तंग नहीं होता।

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