एक दौर था जब रिश्तेदारों की भी परवाह की जाती थी
एक दौर है अब जब अपनों की भी कोई फिक्र नहीं होती
एक दौर था जब लोग माँ-बाप के चरण दवा घर को मंदिर बनाते थे
एक दौर है जब माँ-बाप को भूल मंदिर में सिर को झुकाते हैं
एक दौर था जब तीज त्योहार सब मिल-जुल घर में खुशी से मनाते थे
एक दौर है अब जब फोन से संदेश भेज सब अपने घर में त्योहार मनाते हैं
एक दौर था जब घर त्योहारों पर अनेक व्यंजनों की खुशबू से महका करते थे
एक दौर है जब रसोई पिज्जा, बर्गर, चाउमीन
जैसे बाहरी खाद्वय पदार्थो से महका करती है
'
-