शब्दसंग्राम RK  
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समझदार हो तभी प्रोफाइल पर आए हो चलो फॉलो करके समझदारी का परिचय भी दो
Joined 6 September 2019


समझदार हो तभी प्रोफाइल पर आए हो चलो फॉलो करके समझदारी का परिचय भी दो
Joined 6 September 2019

मेरे लफ्ज़ों में अब वो बात नहीं बची,
बदन तो बचा मगर अब जान नहीं बची,

पतझड़ पसर चुका हैं जीवन में कुछ ऐसा ,
लगता हैं अब जीवन में कोई बहार नहीं बचीं ,

महफिलों ने ठुकरा दिया हैं मुझें कुछ इस कदर ,
जैसे तोड़ दिए प्याले जैसे कोई शराब नहीं बची,

मेरे पाँव अब जकड़े से जा रहे हैं दर्द की बेड़ियों में,
लगता यूँ हैं कि मंजिल मिलने की कोई आस नहीं बची,

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ज़िन्दगी जब आसान हो जाती हैं ,
तब साँसे बोझिल हो जाती हैं ,
जब उतार चढ़ाव खत्म ही हो जाए
तो धड़कने भी रुक जाती हैं ।

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सियासत वाले नफरत सिखाएंगे ,
तुम प्रेमी हो ! मोहब्बत पर अड़े रहना,।


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बहुत संभाला हैं मैंने लफ्ज़ों को ,
जो तुम मुस्कुराते हो तो बहक जाते हैं ,।

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पाँव थक गए तो रुक जाएंगे,
हौसलें जो रुक गए तो हार जाएंगे,
काँटो से जुनून हैं मंजिल पाने का,
जो ये हट गए तो रास्ते मिट जाएंगे,।



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हर शख्स में मैं तुझें तलाशता हूँ,
कुछ ऐसे मैं जीने की वजह तलाशता हूँ,
आँसू कहीं सुख ना जाए आँखों में ,
इसलिए मैं रोने को इक कंधा तलाशता हूँ,।

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ऊँचाइयों को कोसने से बेहतर हैं,
हौसलों का कद बढ़ा लिया जाए,।



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रक़ीब जब भी छूता होगा तेरे बदन को,
तेरी रूह तो कांप जाती होगी ना !

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मुस्कुराते हुए चेहरे के पीछे
किसी को गम न मिला,
जैसे कोई प्यासी थी मछ्ली समन्दर में
औऱ वहाँ उसे कभी जल न मिला,।

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फ़क़त उसको इक पल की फुर्सत तक नहीं,
जिसके लिए मैं अपनी ज़िंदगी तक लूटा बैठा हूँ,।

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