एक खामोश रात,
दबे पाँव वक़्त को पीछे छोड़ कर वक़्त में आगे बढ़ गयी...
और
दे कर गयी है,
पिछले 12 गुज़रे महीने का हिसाब और एक खाली किताब...
कल से लिखेंगे और कल से पढ़ेंगे कुछ नया सा पुराने अंदाज़ में...
अच्छा सुनो...
"फ़िर मिलेंगे"- ©शब्दों का रंगरेज़
31 DEC 2023 AT 23:02