सुकून के पल ढूंढे तो ढूंढें कहां
वादियों मे भी आवाजें गूंजती है
मन में चल रहे शोर को कम करने
सुकून को हर जगह ढूंढने लगते है।।
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कहीं खो ना दूं अपनों को
बढ़ जाती है बैचैनी भी
लगती जब अपनों को
थोड़ी सी भी खरोंच हो ।।
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टूटकर बिखरते भी है,
खुदको समेटते भी है,
जिंदगी छोटी सी है ये सोच,
जिंदगी के उतार चढ़ाव चढ़ते भी है।-
इंसान अपनी औकात खुद दिखा देता है
कोई उसके लिए अच्छा करे तो आंखे बंद
और इल्जाम लगाने वक्त आंखे दिखा देता है।-
जो लफ्ज़ न कह सके
आंखे बयान कर देती है
पर अनजान हो तुम जो
खामोशी को हमारी पढ़ रहे।।-
जो लफ्ज़ न कह सके
आंखे बयान कर देती है
पर अनजान हो तुम जो
खामोशी को हमारी पढ़ रहे।।-
जो लफ्ज़ न कह सके
आंखे बयान कर देती है
पर अनजान हो तुम जो
खामोशी को हमारी पढ़ रहे।।-
जो लफ्ज़ न कह सके
आंखे बयान कर देती है
पर अनजान हो तुम जो
खामोशी को हमारी पढ़ रहे।।-
मेरी ख्वाइश है
आसमां में पंख फैला उड़ने की
और तुम मुझे
आखरी पन्ने तक के साथ को
लिखना चाहते हो
और मैं तुम्हें
आसमां में उड़ता हुआ देखना
चाहती हूं।।
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मरा तो वो शक्स भी है
नहीं की मोहब्बत जिसने
डर मौत का लिए बैठे हो
बदनाम मोहब्बत को कर रहे।
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