शब्दकारी ..✍️   (kɽɪʂɳɐ)
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"जब अल्फ़ाज़ पन्नों पर शोर करने लगे,
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए है।"
Joined 30 November 2019


"जब अल्फ़ाज़ पन्नों पर शोर करने लगे,
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए है।"
Joined 30 November 2019

Tum itni zaroori kyun ho ...❣️

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अपनी

आँखों पर भी उस दिन

रहम सा आया मुझे.

कुछ नहीं था सामने,

जब देखना आया मुझे !

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ख़ामोश चेहरे पर
हजारों पहरे होते है,
हंसती आंखों में भी ज़ख्म
गहरे होते है।

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खामोशी से मतलब नहीं
मतलब तो बातों का है,
दिन तो गुजर ही जाता है
मसला तो रातों का हैं...

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मोहब्बत के सागर में जबरदस्ती का लाया गया हूं
इश्क में जब भी उभरा हूं दवाया गया हूं,
इतना भर चुका हूं की अब और जीना नहीं
उनकी चाहत की बारिश हर जगह हुई एक में भीगा नही..

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"चल तुझे आज फिर
में थोड़ा मना लेता हूँ
अपना सर झुका कर
तेरा सर उठा देता हूँ
तेरे होठों की लाली को
अपने होठों से फिर महका देता हूँ
थोड़ा तेरे करीब आकर
तेरे पीछे जाने की ज़िद को
अपने हाथों से पकड़ कर तेरी
कलाई को चूम कर थोड़ा
और मना लेता हूँ
चल आज थोड़ा तेरे
और करीब आ जाता हूँ
कल सुबह तो जाना ही है वापस मुझे
आज तेरे साथ एक छोटा सा
ख्वाब फिर बना लेता हूँ
चल तुझे आज फिर
में थोड़ा मना लेता हूँ "..

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सबसे कम दिन महीने में,
ये काम मोहब्बत वालों
का तो नहीं लगता..— % &

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आपकी
बद्दुआ में असर ही नहीं
मैं बीमार तो होता हूं
मगर मरता नहीं

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2021 जिंदगी में
एक मैडन ओवर की
तरह निकला है..
एक मात्र उपलब्धि बस
ये है कि आउट नहीं
हुए..!!

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मैं दिसंबर, तू जनवरी,
रिश्ता काफी नजदीक का
और दूरी साल भर की.

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