समांदर से पुछ लेहरो का दूर जाना कैसा होता है
मेरे दिल का भी कूछ हल वैसा ही है
क्या तुझे कभी कोई एहसास होता भी है
मेरा तेरे पास ना होने का गम तुझे सताता भी है
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एक बार तुझे अपने पास बिठा लू
नज़रो से ना तुझे दूर होने दूंगी
रख कर तेरे खंडो पर सर
जी भर कर सो लुंगी
तेरे रूह को छूकर
खुद को तुझे सोप दूंगी
ना पुछ मेरे दिल का आलम
जाने मै तुझसे कब मिलूंगी
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काश के खुदा से मुझे ये तोहफा मिला होता
तुम मुझे दिखते और तुम्हे गलेसे लगना
मेरे नसीब मे लिखा होता
तुम्हे पाना मेरे हिस्से मे लिखा होता
काश के खुदा से ये तोहफा मुझे मिला होता
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उलझ गाई है जिंदगी मेरि कही
बट चुकी हू मै उलझनोमे कही
रास्ता तो सीधा है मेरा दिल की गल्यो मे
चल नही सकती पर जहां दिल चल रहा है वही
बट चुकी हू मै काई उलझनो मे
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वक़्त बदल जाता है दिन ढल जाता है
रूह मे कोई उतर जाता है
तो दिल से कोई निकल जाता है
अक्सर जिसे हम सोचते है
क्या सच मे वही अपना होता है
क्या दिल उसी के लिये धडकता है
जो ख्यालो मे हर वक़्त साथ होता है
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Musalsal vo khelta Raha mere jazbaaton se Na Jaane vah kaun sa Waqt tha Jab Mujhe usse Mohabbat Huvi vah Akshar Mujhe Tadpa ta Raha Apne kirdar se khelta Raha mere jazbaaton se meri mohabbat se Fanaa Kar Diya Usne Meri Mohabbat Ko apne irado se
Na jaane kiu mujhe usse mohabbat huvi-
जिस्म मे रूह का मिलन हो जैसा
उस के बिना ना लगे मुझे दिन दिन जैसा
ना रात लगे रात जैसी
सपनो भी गर ना दिखे वो मुझ को
नींद नही लगती हुवी है पूरी मुझ को-
कीमती वक़्त
वक़्त किसीको नही मिलता
अपनो के लिए वक़्त निकालना पड़ता है
हर कोई मशरूफ है अपने अपने कामोमे
पर अपनो की खातिर सर को झुकाना पड़ता है
अपना कौन है उस की असली पहचान वही होती है
जहा कोई खुद से ज्यादा वक़्त किसी के लिए
निकालता है-
वो अच्छा है तो बेहतर बुरा है तो कूबूल
मिजाजे इश्क़ मे ऐब देखें नही जाते
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