शायद तुम झूठ ही थे,
सबसे खूबसूरत झूठ!
काफी कोशिश की मैने तुम्हे
बरकरार रखने की ,
सर्दी की वो चादर थे
जिसे मैंने गर्मी में भी ओढ़ने का फैसला किया था।
सब कहते है तुम झूठ थे ,
किनको किनको समझाऊं की...
हां, वैसा झूठ जिसे शायद हकीत से भी जायदा जिया था मैंने।
कभी कभी लगता है हमारे अलग होने का कारण शायद हमारा अलग होना ही था।
इसलिए जब दिकतें आई भी तो हमने अलग ही सोचा ,
मैने रहना ठीक समझा और
तुमने जाना ।
हम दोनो ही सही थे ,पर एक दूसरे के लिए गलत।
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