मेरा दिल और दिल मे तुम ,
ज़िन्दगी चल रही अधूरी बिन तुम ....!!-
धीरे धीरे कमियां ढूढो मुझमे , यू अचानक से हाथ छूट गया तो
मुझे खुद से नफरत हो जाएगी-
हर रात सामने आकर
यू मिल जाती हो तुम
नींद खुलते ही क्यों
गुम हो जाती हो तुम
चांद की बाहों में चाँदनी है जैसे
क्यों नही वैसे रुक जाती हो तुम
बस सताती हो तुम , बस सताती हो तुम-
मय कदे में जाकर भी
नशा सनम का रहा
किस्मत में जुदाई थी मगर
दिल में ताउम्र मौसम वस्ल का रहा..-
किया करते थे बातें जो तुमसे
अब वो खुदसे किया करते हैं
जिन पलो में साथ होते थे आप
अब उनमे अकेले जिया करते हैं-
कितनी बेबस लाचार बदनाम है बेचारी मुहब्बत
अपने ही दर्द की सज़ा भुगतती है मुहब्बत
महबूब की ख्वाइश तो बेहया मुहब्बत
महबूब से ज़ुदा तो बेवफा मुहब्बत
हो आशिक़ तो इबादत मुहब्बत
ज़माने की नज़रो में जो गुनाह मुहब्बत
कितनी पाक़ है खुदा की नेमत मुहब्बत
इज़्ज़त को तरसती अजल से मुहब्बत
कितनी मासूम है धर्म मज़हब से परे मुहब्बत
फ़िरभी इल्ज़ामों से घिरी रहती मुहब्बत
पत्थर को दिल बनाती जीना सिखाती मुहब्बत
न जाने क्यों क़त्ल होती उन्हीं इंसा के हाँथो मुहब्बत
न जाने कब तक ज़ुल्म सहेगी बेगुनाह मुहब्बत
न जाने कब मुक़म्मल होंगी सभी की प्यारी मुहब्बत-