रेगिस्तान में भटकता , मैं एक प्यासा वही
जिसे मिले न नीर , तो मृग तृष्णा ही सही-
एक बात का जिकर बहुत आवश्यक है
की...
मेरा प्रेम तुम्हारे लिए सदैव ही शाश्वत है-
मेहनत , उम्मीद और लाचारी के मिश्रभाव को मैं उस वक्त समझ पाया
जब फुटपाथ पर एक बच्चे को गुब्बारे बेचते
देखा ।
चेहरे तो देखे हजारों थे पर उस पर फिकर का जिक्र भी ना था
उसकी एक जिंदा दिल मुस्कान , मुझे यह सोचने पे मजबूर कर गई की .....
"खुशियां संसाधनों की मोहताज नही"-
खड़ा हूं उस मोड़ पे जहां दो रास्ते दिखाई पड़ते हैं
मजबूरी है मेरी की इन रास्तों को
आवश्यकताओ के पैमाने से माप नही सकता
क्यू की ये मेरी अवस्यकताएं नही जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं
चुनता हू जो एक , तो फासला दूसरे से बढ जाता है
एक तरफ भविष्य है तो दूसरी ओर , वो जिसके साथ मेरा भविष्य है
भविष्य की इस होड़ में मेरा वर्तमान कहीं खोता नजर आ रहा है
फासला तो उनसे भी बढ़ रहा है जो मेरे करीब है
और गुजरते दिनो के साथ ये सच्चाई साफ नजर आ रही है
की ये जिंदगी है
इसे अकेले ही गुजारनी है-
जिसे याद कर , मैं अक्सर लिखता हूं
वो ही मुझसे शिकायत करती है की
तुम मुझे याद नही करते ...
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