Shauk-e- Shakeb   (Shauk-e-Shakeb)
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Joined 8 September 2020


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Joined 8 September 2020
20 AUG 2023 AT 4:03

कश्ती-ए-ज़िंदगी समंदर में है, साहिल पे क्या रखा है,
वो जो तूफ़ान था जज़्बातों का,
वो साहिल-ए-दिल को उजाड़ चुका,
अब एक सरपरस्ती का सफ़ीना लिए समंदर-ए-ज़िंदगी में है,
जिसको बद-अख़्लाक़ लहरों से बचा के,
ख़ुशनुमा साहिल तक ले जाना है।

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19 AUG 2023 AT 0:49

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16 AUG 2023 AT 0:00

ये कौन से दौर से गुज़र रहा हूँ मैं,
कि दर्द से भी दर्द का एहसास नहीं होता!

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13 AUG 2022 AT 14:39

इन नाम-निहाद ख़ैर-ख़्वाहों के फ़रेबों से,
मार्तौल थामे खड़ा हुआ है हर एक शख़्स,
ख़ुद साँ तेरे किरदार-कुशी के लिए।

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16 JUN 2022 AT 1:14

दुनिया के किसी ए'जाज़-ओ-अदा में,
सादगी छोड़ जो आया था पिछ्ली गली में।

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15 JUN 2022 AT 23:14

Emptiness arise...

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14 JUN 2022 AT 23:35

ज़रूरतें मेरी तो ख़ास कुछ भी ना थी,
ये तो ज़िम्मेदारियों के एहसास ने
सर कर्ज़ में डुबो दिया और
कहने को हमने पूरा ही क्या किया।

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14 JUN 2022 AT 0:27

ज़रूरतें मेरी तो ख़ास कुछ भी ना थी,
ये तो जिम्मेदारियों के एहसास ने
सर क़र्ज़ में डुबो दिया और
कहने को हमने पूरा ही क्या किया।

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13 JUN 2022 AT 22:23

दास्तान-ए-ग़म तो है,
पर इलाज नहीं।

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12 JUN 2022 AT 21:57

ख़ुद से मुतवाफ़िक़ हुए
एक मुद्दत हुई थी।

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