कश्ती-ए-ज़िंदगी समंदर में है, साहिल पे क्या रखा है,
वो जो तूफ़ान था जज़्बातों का,
वो साहिल-ए-दिल को उजाड़ चुका,
अब एक सरपरस्ती का सफ़ीना लिए समंदर-ए-ज़िंदगी में है,
जिसको बद-अख़्लाक़ लहरों से बचा के,
ख़ुशनुमा साहिल तक ले जाना है।-
Shauk-e- Shakeb
(Shauk-e-Shakeb)
1.1k Followers · 1.1k Following
Maana aap nahi the qataar-e-darkhvaast mai, per ab Aapke Nazar hai ye profile mera..
Tahrir... read more
Tahrir... read more
Joined 8 September 2020
20 AUG 2023 AT 4:03
16 AUG 2023 AT 0:00
ये कौन से दौर से गुज़र रहा हूँ मैं,
कि दर्द से भी दर्द का एहसास नहीं होता!-
13 AUG 2022 AT 14:39
इन नाम-निहाद ख़ैर-ख़्वाहों के फ़रेबों से,
मार्तौल थामे खड़ा हुआ है हर एक शख़्स,
ख़ुद साँ तेरे किरदार-कुशी के लिए।-
16 JUN 2022 AT 1:14
दुनिया के किसी ए'जाज़-ओ-अदा में,
सादगी छोड़ जो आया था पिछ्ली गली में।-
14 JUN 2022 AT 23:35
ज़रूरतें मेरी तो ख़ास कुछ भी ना थी,
ये तो ज़िम्मेदारियों के एहसास ने
सर कर्ज़ में डुबो दिया और
कहने को हमने पूरा ही क्या किया।-
14 JUN 2022 AT 0:27
ज़रूरतें मेरी तो ख़ास कुछ भी ना थी,
ये तो जिम्मेदारियों के एहसास ने
सर क़र्ज़ में डुबो दिया और
कहने को हमने पूरा ही क्या किया।-