Shatakshi Vipul Gupta   (शताक्षी वैश्य 'शावी')
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Joined 23 April 2018


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Joined 23 April 2018
5 JAN 2023 AT 9:49

बस कदम बढ़ाएं आगे को
कर खुद को मजबूत इतना
कोई रोक सके न इरादे को

खुद से कर वादा ए 'शावी'
इतिहास नया बनाना है
खुद को भर साहस से इतना
कोई तोड़ सके न वादे को

____शताक्षी वैश्य'शावी'

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23 AUG 2022 AT 22:02

इधर आग गहरी लगी ये सनम है
बुझा दो न आकर ये तुमको कसम है

किधर है छुपा तू बता दे न मुझको
युं तड़पा न मुझको,ये कैसा करम है

तिरी याद में है भुलाया सभी कुछ
युं मुझको रुलाना सही ना बलम है

मिटा दे,बना दे मुहब्बत मिरी ये
यि तू जान क्या यार तेरा धरम है

___शताक्षी वैश्य'शावी'

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23 AUG 2022 AT 11:25

धुआं ही धुआं है अब यूँ फैला हुआ,
जल गयी ख्वाहिशें उनकी उभरी हुई

कि अब उनका मुझपे नहीं है असर
झील बन गयी हूँ अब मैं ठहरी हुई

हम नादां थे उनको जो समझ न सके
बड़ी बदनाम मिरे दिल की देहरी हुई

हम बनाने में और वो मिटाने में मशरूफ थे
उनकी हर चोट से मेरी जिद और गहरी हुई

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31 JUL 2022 AT 14:08

जो संग तेरे मिला था
रहेगा याद मुझको
जो गुल दिल में खिला था
हां थी मुझको खबर ये
कि ये सपना अधूरा है
नदी की दो किनारे थे
मिलन होना न पूरा है
मगर मायूस नहीं है दिल
कि जीने भर को काफी है
मुहब्बत का छोटा मगर
ये प्यारा सा सिलसिला था
खुशी का एक लम्हा
जो संग तेरे मिला था
____=💝शताक्षी वैश्य'शावी'

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25 MAY 2022 AT 15:04


हां,खुद को ही जीत लिया हमने

बढ़ गयी है मेरी रफ्तार भी क्यूंकि
वक्त संग बहना सीख लिया हमने

कोई कुछ कहे तो फर्क नहीं पड़ता
अपनी मस्ती में रहना सीख लिया हमने

दर्द को ही हमदर्द बना लिया 'शावी'
हां,दर्द को ही दवा कहना सीख लिया हमने

हां ,अब खुश रहना सीख लिया हमने

_______शताक्षी वैश्य'शावी'💔


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14 MAY 2022 AT 22:48



तो धड़कन है बजती
मेरे दिल में खुशियों की महफ़िल है सजती

फ़िज़ाओं में घुलती है तेरी ही खुशबू
इक तेरे सिवा दूजी चीज़ें न दिखती

फ़ख़त तुझसे नज़रें मिलने की देर है
समझेगा तू भी हालात दिल के,थामेगा उनको
जो बूंदें हैं आंखों से गिरती

____💝शताक्षी वैश्य'शावी'


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18 NOV 2021 AT 19:38



अहा! मिलना मुकद्दर था
इक थी जलपरी मानिंद
दूजा धरती का सिकन्दर था
कहें अब दोष हम किसका
कि जोड़ी रब ने बनाई थी
इश्क़ था खूब ही गहरा
मगर मिलनी जुदाई थी
वो थी जन्मों के प्यासी सी
मगर वो इक खारा समंदर था

____💝शताक्षी वैश्य'शावी'


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18 NOV 2021 AT 18:29

बहुत बदला,खुद को मैंने,तुम्हे पाने की खातिर
हुई है क्या खता ऐसी जो कहते हो मुझे काफ़िर

बताते भी नहीं हो तुम,क्यूं फिर इल्ज़ाम सिर मेरे
न दिन देखा,न देखी रात, किये सब काम हैं तेरे
मिटा दो या सज़ा दे दो, करम कोई करो आखिर
हुई है क्या खता ऐसी जो कहते हो मुझे काफ़िर

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11 NOV 2021 AT 10:27

रिश्ता ज़िन्दगी तुझसे निभाते चलूं
और अपनों को किस्से सुनाते चलूं

सुनते सुनाते सभी राज़ खुल जाएंगे
असली चेहेरे सभी के नज़र आएंगे
कोई देगा मरहम,कोई छिड़केगा नमक
क्यूं न गलती ये उनकी भुलाते चलूं
रिश्ता ज़िन्दगी तुझसे निभाते चलूं

तू है बेवफा पर तुमसे निभाना भी है
जीत कर इम्तेहां,तुझे दिखाना भी है
जब जीतूंगी तो शायद तू सजदा करे
खेलना इसको है कहते, बताते चलूं
रिश्ता ज़िन्दगी तुझसे निभाते चलूँ
_____💝शताक्षी वैश्य'शावी'

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10 NOV 2021 AT 11:23



और आशाओं की कलियाँ खिलती रहें
साहस की हथेली थामे बढ़ती आगे रहूँ
खुशियों से दिल का आंगन महकता रहे
निकाल फेंकूं उदासी के अंधेरो को मन से
कि कोशिशें करने को दिल ये मचलता रहे
शिकायत करके भी किसी से क्या फ़ायदा
हर कोई खुद के दुख से यहाँ बहकता रहे
ये महज सुनहरी किरणे नहीं हैं चमकती हुई
ये परिंदा सा हैं उम्मीदों और उमंगों का 'शावी
थोड़ा कोशिश करो, थोड़ा और आगे बढ़ो
क्या पता किसी दिन ऊंचे गगन ये उड़ता रहे

_____💝शताक्षी वैश्य'शावी'




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