Shatakshi Vipul Gupta   (शताक्षी वैश्य 'शावी')
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Joined 23 April 2018


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1 APR AT 21:16


उनकी यादों को लेकर

मुहब्बत के उलझें हुए
उन धागों को लेकर

मुश्किल से जिनको था
कभी दफनाया हमने

बेरहम शाम आयी उन
अधूरे ख्वाबों को लेकर

मगर अबकी अफ़सोस
न ज़रा सा है मुझको

हम भी तैयार हैँ अपने
पक्के इरादों को लेकर
_____शताक्षी वैश्य 'शावी'



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11 MAR AT 23:16

कि किसी इंसान की चर्चा क्यूं
उसके चले जाने के बाद होती है

जीते जी तो पूछती नहीं ये दुनिया
क्यूं उसके चले जाने के बाद रोती है

लोग अच्छे इंसान को लूट लेते हैँ
फिर कहाँ पहचान इसके बाद होती है

उम्मीद ही तो है जो तोड़ देते हैँ लोग
जीने की चाह कहाँ इसके बाद होती है
_______शताक्षी वैश्य 'शावी'






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2 FEB AT 15:47

अब कुछ नहीं हो सकता
ये सोच के हिम्मत न हार
नकारात्मक सोचने से
होती नहीँ नैया है पार

हो नहीं गर चाँद का उजाला
पकड़ ले तारों की कतार
देख तेरा हौसला ए 'शावी '
शरमा जायेगा ये अंधकार

वक्त ने करा है मजबूर तो क्या
लड़ के होनी किस्मतों से
मोड़ दे दर्द ए दरिया की वो धार


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2 FEB AT 12:34

उदास क्यूं हो वो पूछने लगा,मैं महज मुस्कुरा सकी
तुम ही हो मेरे गम की वजह, फिर से नहीं बता सकी

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2 FEB AT 12:24

रच रही रचना मैं रोचक, रख रघुवर का ध्यान
रही राह मैं जोट रक्ति की, रहा ये ही री काम।।

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30 JAN AT 21:32

कोई अपना नजर आया नहीं
गम की आंधी ज़ब ज़ब चली
कोई भी बचाने आया नहीं
यूँ तो काबिल खुद ही हूं कि मैं
तय कर सकती हूं रास्ते सभी
पर तपती धूप सी जिंदगी में
आसरा किसी से पाया नहीं
ये बात मैं हूं मानती कि मुझमें
भी होंगी ढेरों खामियाँ मगर
शिकायत है मुझे सभी 'सम्बन्धो' से
क्यूं किसी ने मुझे समझाया नहीं
________शताक्षी वैश्य 'shaavi'




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27 JAN AT 22:02

फ़खत उगते हुए ही नहीं,
ढलते हुए सूरज की
लालिमा को भी निहारा है मैंने

ये जानकर भी कि वो
लौट कर आएगा नहीं,फिर भी,
दिल से उसको पुकारा है मैंने

मैं जानती थी कि किसी एक का
डूबना तो तय है मुहब्बत के दरिया में
बहुत पास थी पार पाने को मैं मगर,
उसको ही दिया किनारा है मैंने

जिंदगी के किसी लम्हें में
मुझे याद कर ज़ब वो तकिये भिगोयेगा
सोचेगा तो ज़रूर अगर जिन्दा ज़मीर होगा
किस हद तक उसको चाहा और
खुद को उस पर वारा है मैंने
________शताक्षी vaish"shavi"

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5 NOV 2024 AT 23:16

इस कदर खुद ही अँधेरे
में डूबी हुई थी मैं
कि तेरे भेजे खतों को
कभी मैं पढ़ नहीं पायी

हाँ लड़ती रहीं गमों से
मैं तुझको बचाने को
बस इस बात की खबर
तुमको कर नहीं पायी

ये जिन दर्द की तोहमत
आज मुझपर लगाते हो
तेरी नज़रेँ मेरे दरिया-ए-दर्द
से गुज़र नहीं पायी

बिन बात के बदनाम तो
हम सदा होते ही आएं हैं
कि दिल के जुड़े रिश्तों से
मैं कभी लड़ नहीं पाई

कभी महसूस करके देखते
तो तुम सब समझ जाते
पर कमी मेरी थी जो
तेरी रूह में मैं उतर नहीं पाई
-----(शताक्षी वैश्य 'shaavi')


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5 JAN 2023 AT 9:49

बस कदम बढ़ाएं आगे को
कर खुद को मजबूत इतना
कोई रोक सके न इरादे को

खुद से कर वादा ए 'शावी'
इतिहास नया बनाना है
खुद को भर साहस से इतना
कोई तोड़ सके न वादे को

____शताक्षी वैश्य'शावी'

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23 AUG 2022 AT 22:02

इधर आग गहरी लगी ये सनम है
बुझा दो न आकर ये तुमको कसम है

किधर है छुपा तू बता दे न मुझको
युं तड़पा न मुझको,ये कैसा करम है

तिरी याद में है भुलाया सभी कुछ
युं मुझको रुलाना सही ना बलम है

मिटा दे,बना दे मुहब्बत मिरी ये
यि तू जान क्या यार तेरा धरम है

___शताक्षी वैश्य'शावी'

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