Shatakshi Singh   (Shatakshi Singh)
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Joined 27 July 2020


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Joined 27 July 2020
26 APR 2021 AT 20:34

With the music of rain drops outside
the window and a hot cup of coffee,
lets lay down in each other's arms
on a Sunday afternoon,

And when the sun sets and the sky is
clear and dark, lets sit down under the
new moon and count the years of our
togetherness glittering bright in the sky.

Shatakshi Singh

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27 SEP 2020 AT 19:57

Filled with love he proposed, but she denied,
With fear of being hurt once again in her eyes,
He never forced and waited for moment to be right,
And it's been two years of them being together now,
With her still there, holding hands, by her side.

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27 SEP 2020 AT 13:17

माँ की लाडली, गुड़िया, मदत्गार हैं बेटियाँ,
बाप का गुरूर, अभिमान, शान हैं बेटियाँ,
घर की चमक, खिल्खिलाहट, होठों की मुसकान हैं बेटियाँ,
जाती हैं जिस घर ब्याह कर ये,
उस घर की इज्जत, लज्जा, गहना हैं बेटियाँ,
एक मौका तो देकर देखो इनको,
एक कदम बढ़ा तो लेने दो इनको,
एक बार कामयाबी की सीढ़ी तो थामने दो इनको,
देश का नाम, मान,पहचान भी हैं बेटियाँ!!

HAPPY DAUGHTER'S DAY

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21 AUG 2020 AT 23:09

कल क्या होगा ये मैं नही जानता
पर कल कुछ कर के दिखाना है
ये मैं ज़रूर जानता हूँ।।

#dedicated

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20 AUG 2020 AT 18:29

ढलते हुए आफ़ताब से सीखा आज
की आप कितने भी गरम प्रवत्ति के क्यूँ ना हों
परंतु आपके झुक जाने से अगर
दूसरों का आसमान सतरंगी होता है
तो कभी कभी झुक जाना भी
आपकी ही खुबसूरती को झलकाता है।।

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20 AUG 2020 AT 16:40

खो जा मेरी आँखों में, तुझे ज़माने से छुपाना है,
चल थाम मेरा हाथ तू, तुझे तुझसे ही चुरा ले जाना है,
घर कर ले मेरी इन बाहों में आ, मुझे तुझे अपने और करीब लाना है,
भूल जाए मेरे जिस्म का पसीना भी रस्ता अपना, मुझे तुझे अपने सबसे करीब पाना है।।

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20 AUG 2020 AT 16:37

अर्ज़ किया है

घर में बड़े भाई के सामने
जिनकी आवाज़ उँची नही होती,
वो घर के बाहर अपनी आँखों से
ही कमाल का जादू कर जाते हैं,,
रिश्ते तो बहुत हैं उनके मगर
इश्क़ का रिश्ता वो बेशुमार निभाते हैं,,
शायर तो नही हैं वो मगर
एक लेखक पर अपनी उँगलियाँ फेर
क्या कमाल की शायरियाँ लिख जाते हैं,,
और लगी जो प्रीत की लत हमे इस शायर की,
कवितायें तो लिखा करते ही थे हम
अब उनके संग पूरी पूरी नगमा-ए-इश्क़ लिख जाते हैं।।

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14 AUG 2020 AT 14:18

शुरु जो हुआ है ये सफ़र खुबसूरत बहुत है,
चलते चलते राह इस तरह खुशनुमा हुई है,
की मज़िल से मोहब्बत और ज़्यदा बढ़ चली है,
उतार चढ़ाव का मंज़र ये कमाल का है बड़ा,
सारी मुश्किलों के बाद की मुसकान हसीन बहुत है,
सुने है कयी दीवानो की दीवानगी के किस्से,
तेरी मेरी दीवानगी का ये किस्सा अलग बहुत है,
नये दौर के पन्नों पे लिखने आए है पुराने ज़माने का इश्क़,
ये सादकी भरे सच्चे इश्क़ का अफ्साना लाजवाब बहुत है।।

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12 AUG 2020 AT 12:51

आधी रात हुई घनी बरसात
जब जणम लिया एक बालक ने,
देख मुख उसका सब बोले
साधरण नही, है तेजस्वी ये,
सो गए सैनिक और खुल गए कोठरी के दरवाज़े,
लेकर देवकी नन्दन को वासुदेव पहुँचे यमुना किनारे,
करते रहे पार वो नदिया गुम सुम से सुध बुध खोये,
रख दिया यशोदा मैया के आंचल में राज दुलारे को अपने,
और शुरु हो गयी यहाँ से बाल गोपल की नयी कहानी रे,
सबसे सुन्दर, सबसे नटखट, माखन चोर भी कहलाये थे,
घर घर का था माखन खाया, करती सब शिकायत थी,
दाटे माँ यशोदा उनको, फिर हाथों से माखन खिलाती थी,
पनघट पर गोपियां जो पानी भरने जाया करती थी,
पहुचें श्री कृष्ण वहाँ भी, उनको छेड़े जाते थे,
लगा निशाना गुलेल से सारी मटकी फोड़त जाये रे,
वृंदावन की गोपियों संग रासलीला भी रचाई है,
राधा रानी संग प्रेम की एक सुनहरी कथा भी जानी है,
राधा बिन आज भी अधुरी श्री कृष्ण की कहानी है,
आज भी उनकी लीलाओं का वर्णन अद्भूत सा लगता है,
आज भी उनकी कहानियां घर घर में बस्तीं हैं,
आज भी उनका जन्मदिन एक त्योहार सा मनाते है,
आज भी उनकी सारी शरारतें अपरंपार कही जाती है,
हर साल कृष्ण जन्माष्टमी पर दही हांडी का आयोजन करते है,
श्री कृष्ण की तरह हम भी एक नटखट बालक बन जाते है।।

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10 AUG 2020 AT 0:18

कर अग्नी के सामने गठबंधन,
बांधा है साथ सात जनमों का,
बीवी को मियाँ तो मिलते ही हैं,
मुझे मिला है एक फौजी का साथ,
बैठी थी घबराई हुई मैं सुन उनकी हर आहट को,
बैठ सिरहाने बोले मुझसे जाना है अब सरहद को,
आ गया बुलावा मेरी पहली मोहब्बत का मुझको,
बीत गयीं फिर कितनी रैना यूँही उनके इंतज़ार में,
कल शाम आया फिर एक सिपाही लेकर उनका पैगाम हाथ में,
खतम हुई घड़ियाँ इंतज़ार की,
मेरे पिया जो वापस आ रहे हैं,
आज घड़ी मिलन की देखो
वो फिर अपने संग ला रहे हैं,
कर श्रिंगार लिया घूँघट मैने,
मुझपे रंग लाल उनको भाता है,
मसल रही महँदी तल्वों तले,
आज की रात मानो कोई हसीन ख्वाब है,
धक धक धड़कन कहें कानों में,
क्यूँ तेरी अखियाँ यूँ शरमा रही हैं?
होठों की हँसी तो मानो जैसे
रुके ना रोकी जा रही है,
है बेला ये आबाद इश्क़ की,
बदन महके है मेरा गुलाब सा,
देखा जो वर्दी में सामने उनको,
लगने लगा सब कुछ फिर नया सा,
भर गयीं आँखें आज फिर एक बार,
याद में नही, हुआ है मुझे मेरे पिया का दीदार।।

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