सपनों और अपनों के बीच हैं फँसे हुए
जिम्मेदारियों के सारे पेंच हैं कसे हुए
जो भी चीज़ चाही वो कद्दूकस हो गई
आग पर सिकती रही बेबस हो गई
उसने ही दी है कलम वो ही सजा दे रहा है
सपनों का सैंडविच बना वो मजा ले रहा है — % &-
वक़्त धीरे धीरे हाथ से फिसलने लगा है
अब सपनों से ज्यादा जरूरी भी कुछ लगने लगा है
आखिर इस दुनिया ने मुझे क्या दिया है
जिम्मेदारियों ने समझौता करना सीखा दिया है-
इक हाथ में कॉफी हो
बस इतना ही काफी नहीं
दूसरे हाथ में
तेरा हाथ होना चाहिए-
गिले बालों को वो ऐसे सुखाती रही
हवाएं आँगन में ठहरी शर्माती रही
धूप बूँदों से टकराई सातों रंग खुल गए
हर शरारत पर अपने वो मुस्कराती रही
उस तौलिये की किस्मत भी क्या खूब है
खुद भीग कर भी दिलों को जलाती रही-
इक मुस्कान पर
उसने हमें खरीद लिया
अब दिल उसकी जी हुजूरी करे
बिन दिहाड़ी मजदूरी करे-
ज़िन्दगी! ज़िन्दगी है नफा नुकसान थोड़ी है
ये धड़कने हैं तराजू नहीं दिल दुकान थोड़ी है
साथ रहने को दिल में रहना कहाँ जरूरी है?
हम इक तरफा रखेंगे प्यार एहसान थोड़ी है
वो मिले ना मिले न सही दिल में वो ही रहेगी
ये ज़िन्दगी है मेरी किराये का मकान थोड़ी है-
जिसे चाहा उसे लिखते रहे
जिसे पाया उसे लिख न सके
हिसाबों में गलत किताबों में सही
दिल की दुनिया बस ख्वाबों में सही-
मैं वर्तमान का उपासक हूँ
और वर्तमान इस समय रूठा हुआ है
उसे मनाना होगा-
हाथों में तस्वीर लिए शहर ढूंढ रहा है
जो गुमशुदा है उसे खुद पता नहीं
एक गलत मोड़ पर यह उम्र कट गई
मंज़िल से लौटने का कोई रास्ता नहीं
घर से निकलते वक्त कुछ भूल आए हो
फिर यह न कहना कि कोई रोकता नहीं-