Shashikant Yadav   (शशिकान्त✍️)
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Joined 14 February 2020


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9 FEB 2024 AT 11:41

इस कदर ढूढता हूं तेरी उस पुरानी तस्वीर को,
मानो चाहत है खुदा पाने की, किसी फकीर को।

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25 DEC 2023 AT 13:10

अब डर सा लगता है...
अपनों को खोने का,
अपनों के रोने का,
खुद को कुछ होने का,
अब डर सा लगता है...
😔😔😔😔

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29 SEP 2023 AT 15:46

अपनी मां को खुश रखिए, देवी मां स्वयं खुश हो जाएंगी।

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29 DEC 2022 AT 17:34

मेरे हमदम मेरी दोस्ती का बस इतना सिला देना,
मेरी सजी अर्थी को उसका कांधा दिला देना,
जब आएंगे मेरी मय्यत पर मुझे चाहने वाले,
'मैं मर गया हूं' ए कहकर जरा उसे बुला देना।

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11 NOV 2022 AT 17:04

तेरी चाहत सबको हराने की, तूं परशुराम है क्या ?
तेरी चाहत सबको रिझाने की, तूं घनश्याम है क्या ?
जो कुछ भी दिया है रब ने तुझे, उसे कुबूल कर..
तेरी चाहत सीता पाने की, तूं श्रीराम है क्या ?

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9 NOV 2022 AT 19:51

साहस मां🧑‍🍼से सीखो— जो जान की बाजी लगाकर अपने बच्चों को जन्म देती है।

धैर्य पिता🧑‍🦳से सीखो— जो अपने परिवार की खुशी के लिए महीनों अकेले जिंदगी बिताता है।

त्याग बहन🙎से सीखो— जो अपने हिस्से का सब कुछ त्याग कर किसी पराए के घर चली जाती है।

जिम्मेदारी बड़े भाई🧔से सीखो— जो पिता के बाद सभी जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठाता है।

भरोसा पत्नी🧑से सीखो— जो किसी अजनबी इंशान पर भरोसा कर, उसको अपनी जिंदगी की बागडोर सौंप देती है।

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6 NOV 2022 AT 12:21

बड़ा मुस्कील है रिश्ते निभाना इस जिंदगी की कश्मकश में,
कुछ रूठ जाते हैं, कुछ छूट जाते है।

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5 NOV 2022 AT 16:49

जला है घर मेरा अब किसके घर जाऊं ?
ठहरना मुनासिब नहीं अब किसके शहर जाऊं ?
भूलना फितरत है तेरी तो भूल जा मत याद रख,
बस दुआ कर कि तेरे भूलने से पहले मैं मर जाऊं।

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5 NOV 2022 AT 15:59

मैं भूला नहीं हूं तेरे ज़ुल्म-ओ-सितम,
तूं बस इतना समझ कि, भूल गया हूं।

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5 NOV 2022 AT 15:58

मैं भूला नहीं हूं तेरे ज़ुल्म-ओ-सितम,
तूं बस इतना समझ कि, भूल गया हूं।

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