Shashi Yadav   (शशिकांत "मुसव्विर" (शशि))
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@dahakshashi
Joined 16 March 2020


@dahakshashi
Joined 16 March 2020
26 JAN AT 12:44

गणतंत्र, गणमान्य लोगों का तंत्र बनकर रह गया है...
रोटी, कपड़ा और मकान नामक रोग से ग्रसित बाहुल्य जनता की आँखें पढ़कर आ रहा हूँ...
वो दिन और थे जब देश को दिशा देने वाले लोग भूखी-नंगी जनता को देख कर साप्ताहिक उपवास और लँगोट धारण कर लेते थे...
तब आँखों में हया थी, बेहयाई नहीं।

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27 DEC 2023 AT 16:55

तुम अँगीठी आलिंगन की जलाए रखना।
सर्दी, दिल्ली की लिए आ रहा हूँ मैं।।

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24 DEC 2023 AT 18:15

तुम्हारे पाँव के कच्चे महावर से रँग ले कर,
तुम्हारे बिछुओं के लिए गीत लिखूँगा किसी रोज।।

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22 DEC 2023 AT 0:47

ये संबंधों के सौदागर, उतना ही याद रखेंगे।
जितना वक़्त लेती हैं चिताएँ राख होने में।।

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19 NOV 2023 AT 21:49

बयाँ आँखों से होते हैं, मंज़र हैं जो अंदर के।
वही ग़म आये हिस्से में, जो आये थे सिकंदर के।।
तमाशा खूब है कि वक़्त के साहिल पे डूबे हैं।
सफ़ीने वो जो सीना चीर देते थे समंदर के।।

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15 NOV 2023 AT 7:00

एक दिन ब्याह दिये जाओगे, अपनी जाति में।
प्रथाएँ, प्रेम से बड़ी होती हैं...

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14 NOV 2023 AT 18:06

नन्हें क़दम जो बचपन में तितलियों के पीछे भागे थे, ठहरे तो श्मशान पर खड़े थे...

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8 NOV 2023 AT 18:17

उसके कान से लटके हुए झुमके की कसम।
वो बयाबान से भी गुजरे तो बरेली साथ चलता है।।

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7 NOV 2023 AT 14:33

इस सन्नाटे में, मेरी ध्वनि गूँजती है, तुम्हारे नाम की...

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6 NOV 2023 AT 20:12

प्रेम भावनात्मक अभिव्यक्ति है, जिसे सृष्टि की पहली ऊर्जा ने दूसरी ऊर्जा के प्रति प्रथम बार प्रकट किया, तब से ये अनवरत जारी है, एक प्रथा के रूप में...

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