पहली बार ही होता है मुहब्बत का असर।
दूसरी बरसात में मिट्टी कहाँ महकती है।।-
" सारा खेल लहजे और सलीके का है, इंसान खंज़र झेल लेता है, शब्द चुभ जाते हैं।"
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किसी रोज आएंगे ज़माने भर की सिसकियाँ और दर्द समेटे तुम्हारे गोद मे सर रख के एक गहरी नींद में सोने, ...तुम बस माँ की तरह सर पर हाँथ रखना और आँचल डाल देना, फिर हमें कोई न जगाए अन्नत काल तक.... ज़िन्दगी बहुत थका ली, अब और नहीं....💔
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तुम्हारा विरुद्ध होना प्राकृतिक है, तुम्हारे तर्क के बीज तुम्हारे चेतना से फूटते हैं...
तुम्हारे प्रश्न उनके सस्ती और बाज़ारू मान्यताओं को उधेड़ते हैं।
वो तुमको बाग़ी कहेंगे..., तुम कहना 100% ।
वो तुम्हें विधर्मी कहेंगे,....तुम अपने प्राकृतिक होने का उदघोष करना...
तुम बुद्ध के गोद में बैठे हो, तुम्हारी चेतना से ब्रह्मांड फूटता है, तुम्हें भय किस बात का।-
पहले करैले की सब्जी बहुत कड़वी लगती थी, फिर जीवन में कुछ करैले से भी कड़वे लोगों से पाला पड़ा... अब करेला मेरा प्रिय सब्जी है...
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यद्यपि आपकी शिक्षा, आपके विचार, भाषा, व्यवहार, और निर्णय क्षमता में परिलक्षित नहीं होती, तो आपकी उपाधि (डिग्री) आपके जीवन में उतना ही महत्व की है जितना वैश्या के वर्तमान जीवन में उसका कौमार्य...
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नियति/भाग्य आपसे उसी तरह पेश आती है, जैसे आप अंदर से हैं,
स्वभाव अगर डंसने का है तो प्रारब्ध से ज़हर ही मिलेगा , अमृत नहीं....
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किसी दिन तुम्हारे माँग में प्रेम का सशक्त हस्ताक्षर करूँगा, जिसके सामने विश्व के तमाम सभ्यताओं की परिकल्पित विधियाँ नतमस्तक होंगी...
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तुम मोम हो तो मोम के मानिंद रहो, जानाँ।
तेरा पत्थर का हो जाना, कलेजा चीर देता है।।-
कभी आओ तमाम फुरसतें ले कर तो सुनाऊँ।
वो गीत जो तुम्हारे "वियोग" में लिखे मैंने।।-