पहले करैले की सब्जी बहुत कड़वी लगती थी, फिर जीवन में कुछ करैले से भी कड़वे लोगों से पाला पड़ा... अब करेला मेरा प्रिय सब्जी है...
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यद्यपि आपकी शिक्षा, आपके विचार, भाषा, व्यवहार, और निर्णय क्षमता में परिलक्षित नहीं होती, तो आपकी उपाधि (डिग्री) आपके जीवन में उतना ही महत्व की है जितना वैश्या के वर्तमान जीवन में उसका कौमार्य...
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नियति/भाग्य आपसे उसी तरह पेश आती है, जैसे आप अंदर से हैं,
स्वभाव अगर डंसने का है तो प्रारब्ध से ज़हर ही मिलेगा , अमृत नहीं....
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किसी दिन तुम्हारे माँग में प्रेम का सशक्त हस्ताक्षर करूँगा, जिसके सामने विश्व के तमाम सभ्यताओं की परिकल्पित विधियाँ नतमस्तक होंगी...
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तुम मोम हो तो मोम के मानिंद रहो, जानाँ।
तेरा पत्थर का हो जाना, कलेजा चीर देता है।।-
कभी आओ तमाम फुरसतें ले कर तो सुनाऊँ।
वो गीत जो तुम्हारे "वियोग" में लिखे मैंने।।-
तुम्हारे पाँव के कच्चे "महावर" से रंग ले कर, तुम्हारे "बिछुओं" के लिए गीत लिखूँगा किसी रोज...
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कभी उपहार देने का अवसर मिला, तो मैं तुम्हारे पाँव के कुँवारे उँगलियों के लिए "बिछुए" ले आऊँगा...
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अब तो घरों की बेटियाँ ही सजाने लगी हैं महफ़िलें।
ये नाच कभी तवायफ़ों का पेशा हुआ करता था।।-
खाली जेब, और शिकस्त हाल में, जो तुम्हारा हाँथ थामे चलती है, पाँव चूम लो उसके.... वो जीती-जागती देवी है...
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