अनुनय विनय लिखे गए,
जब जब कागज़ पत्रों पर...!
जागी संवेदनायें और
प्रेम की बारिश हो आई शहर भर!!
©शशि चंदन "निर्झर"
-
जाने किसने खींची हैं दीवारें
जाने किसने ताने हैं पर्दे....
तेरे मेरे बीच..!
नहीं तो हम दोनों
एक ही थे,
जैसे शिव में शक्ति
शक्ति में शिव...!!
© शशि चंदन "निर्झर"-
लो दिनकर ने बाहें फैलाई।
शशिशेखर ने राहें बनाई।।
सुनो बीत गई सो बात गई।
आयेगी अब सौगात नई।।
जीत जाओगे जीवन के रण।।
हटा दोगे जो निराशा के घन।।
तरकश में हौसला भरना होगा,
विपदाओं से,न अब डरना होगा।
उफ्फ अतीत में डूबा मन क्या करेगा?
खींचेगा पीछे कदम और क्या करेगा??
जान लो वक्त की मांग वर्तमान है शशि
अब ये अगला– पिछला क्या करेगा??
बस सीख लो और सुधार करो।
मंजिलों से अपनी प्यार करो।।
देखो हांक तो रहा माधव रथ...
तुम बस मेहनत को आधार करो।।
© शशि चंदन "निर्झर"-
मेरे क़ातिल मेरे अपने ही निकले।
वज़ह बस, चंद सपने ही निकले।।
क्या कहूं उनकी चाशनी भरी बातें,
और उनकी साजिशों भरी मुलाकातें।।
हम थे नादान परिंदें आसमां के...
क्या देखते भला उनको आज़मा के??
हम तो गले लगे और कांधे पे रो लिए।
क्या पता था,कि खंजर वो सौ लिए।।
वार पे वार हुए हम हार के तार तार हुए।
राख घड़े में रख,हर दिन उनके बहार हुए।।
ए खुदा देख, यहां कौन अपना कौन पराया है....
बहा के आंसू लाश पे मेरी,तुझको भी भरमाया है।।
© शशि चंदन "निर्झर"-
माता पिता से ऊपर कोई शख्स हो नहीं सकता..
इसलिए सुनो बेटियों कोई भी क़दम उठाने से पहले उनको देखना जरूर उनकी आंखों के पानी को सोचना जरूर...
वरना व्यर्थ है तुम्हारा बेटी कहलाना।।
तुम कोमलता की प्रतीक हो न,तुम करुणा ममता की सीख हो न...किसी की कोख उजाड़ना नहीं...तुम तो जीवनदायनी हो न... तुम तो वनवास भी काट लिया करती थी न अपने कुल का मान बढ़ाने को...आज क्या हुआ है तुम्हें ..
बेहद शर्मनाक है ये दौर
©शशि चंदन "निर्झर"-
बच्चों को हज़ार गलतियों से बचा लेती है,
वो माँ जो पहली गलती पर रोक लगा देती है।।
© शशि चंदन "निर्झर"-
सितारा न थे पर चाँद से कम भी नहीं....
यक़ीन नहीं अगर नीले आसमां से पूछ लो।।-
सुनो न…..
बाबा गीत विदाई का जब गाया जाएगा...
तुम एक और ज़रूरी सामान बांध दोगे न,
मेरी किताबें वहीं आले में रखी छूट न जाएं।
देखो अपनी रचना में रंग भरने से पहले
कहीं मेरी निर्झर कलम टूट न जाएं....!!
© शशि चंदन "निर्झर"
(अनुशीर्षक में पढ़ें👇)
-
सुनो,
ये किस तरह
अलग हुए हैं हम दोनों!
महसूस
तो तुम मुझे आज भी
उतना ही होते हो....
जितना
कभी हम पास थे....!!
© शशि चंदन "निर्झर"-
कि खुद से मोहब्बत करने की ताकत रखो।
खुद के फैसले खुद करने की ताकत रखो।।
और हो जाए अगर, जो उच्च नीच "शशि"
तो खुद से बगावत करने की ताकत रखो।।
© शशि चंदन "निर्झर"-