मुझे हकीकत के पन्नो पे तू स्याही सा चाहिए मुझे आज नहीं कल नहीं हमेशा ही तू चाहिए। -
मुझे हकीकत के पन्नो पे तू स्याही सा चाहिए मुझे आज नहीं कल नहीं हमेशा ही तू चाहिए।
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तुझको भूल तेरी यादों को ही खंगोलते है। -
तुझको भूल तेरी यादों को ही खंगोलते है।
उनसे मिल दिल वाबस्ता करते भी तो क्या करते हमारी मंजिले भी अलग थी कुछ वक्त बैठ गुफ्तगू करते भी तो क्या ही वक्त जाया करते। -
उनसे मिल दिल वाबस्ता करते भी तो क्या करते हमारी मंजिले भी अलग थी कुछ वक्त बैठ गुफ्तगू करते भी तो क्या ही वक्त जाया करते।
दफ्तर से जो लौटू घर और तेरा दीदार ना हो ये वो जख्म है मेरी जान जो दिल से तो लगे पर आंखो से बयान ना हो। -
दफ्तर से जो लौटू घर और तेरा दीदार ना हो ये वो जख्म है मेरी जान जो दिल से तो लगे पर आंखो से बयान ना हो।
आज फारिक है तेरे हर ख्याल से भीफारिक है टूटे दिल के सवाल से भीदूर ही सही है तेरे इश्क-ए बवाल से भी। -
आज फारिक है तेरे हर ख्याल से भीफारिक है टूटे दिल के सवाल से भीदूर ही सही है तेरे इश्क-ए बवाल से भी।
तुमको जो है इश्क तो कहो हमसे भी आकेयूं महफिल मे नजरे झुकाएं इश्क दिखाना हमको गवारा नही आता। -
तुमको जो है इश्क तो कहो हमसे भी आकेयूं महफिल मे नजरे झुकाएं इश्क दिखाना हमको गवारा नही आता।
अपने मुकम्मल इश्क पे किताब लिखने लगा था मै मेरे लिखते लिखते उनका इश्क खत्म हो गया मेरी लिखी किताब आज भी आधी बाकी हे। -
अपने मुकम्मल इश्क पे किताब लिखने लगा था मै मेरे लिखते लिखते उनका इश्क खत्म हो गया मेरी लिखी किताब आज भी आधी बाकी हे।
मुसिलसिल रातों मे हम इस कदर थे वो उस जाम का असर था भरी महफिल मे भी हम दर-बदर थे ये इश्क-ऐ-अनजाम का असर था। -
मुसिलसिल रातों मे हम इस कदर थे वो उस जाम का असर था भरी महफिल मे भी हम दर-बदर थे ये इश्क-ऐ-अनजाम का असर था।
तेरे लिए हर फलसफा कर गुजर जाऊं कुछ इस कदर मुकम्मल करूं खुदकोतेरे इश्क मे जी जाऊं या तेरे इश्क मे मर जाऊं। -
तेरे लिए हर फलसफा कर गुजर जाऊं कुछ इस कदर मुकम्मल करूं खुदकोतेरे इश्क मे जी जाऊं या तेरे इश्क मे मर जाऊं।
तेरी कमी का एहसास होता है किसको सुनाऊं अपना हाल-ए-दिल सुना है ये इश्क मे सबके साथ होता है। -
तेरी कमी का एहसास होता है किसको सुनाऊं अपना हाल-ए-दिल सुना है ये इश्क मे सबके साथ होता है।