shashi kumar mehra   (Rahi Aanjana)
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Poet
Joined 5 May 2018


Poet
Joined 5 May 2018
12 MAY 2021 AT 11:53

दिल दे , जान दे, या कुछ और,

शब्द से तुझे पेहचान दे , या कुछ और,

तुमहारे इशक़ में सब कुछ भूल गये हैं,

जान दे, प्राण दे ,या कुछ और।।


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25 JAN 2021 AT 23:32

कि कलेजे में जलन आंखों में आंसू छोड़ जाती हो

हमें तुमसे अकेले तुम , हमेशा छोड़ जाती हो

किसी इक रोज तुझे मेरी याद आती ही नहीं है क्या?

हमेशा तुम अपनी इक निशानी छोड़ जाती हो।।



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5 OCT 2020 AT 19:10

साइंस और इश्क़ की राय

साइंस कहता है कि हर जख़्म की दबा है,
मगर इश्क़ का जख़्म ठीक क्यों ठीक नही होता।

साइंस कहता है कि दिल नाजुक होता है
फिर किसी से दूर होने पर पत्थर में क्यों बदल जाता हैं।

साइंस कहता है , लोग दिमाग से सोंचते है,
फिर इश्क़ मे लोग दिल क्यों लगाते है।

साइंस कहता है कि दिल मे हड्डिया नही होती है,
तो फिर दिल टूटता क्यों है।

साइंस कहता है कि लोग ठीक हो जाते है दर्द के बाद,
तो फिर लोग टूटने के बाद बदल क्यों जाते है।

साइंस और इश्क़ में लोग क्या नही कहते है,
फिर भी हम सा कुछ लोग उलझें रहते है।।

शशि कुमार.........

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4 MAY 2020 AT 17:37

कि वे समंदर की गहराइयों में आने लगे ,
हमारे दिल के दरवाजे खटखटाने लगे ,
चाहे कोशिश लाखों -हजार बार कर ले ,
हमें पराजय करे वह सपने भी ना आने लगे,
हमें पराजय करे वह सपने भी आने लगे,
उन्हीं के देश के चौखट पर तबाही करके,
योद्धाओं अपने देश को है जाने लगे||

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25 APR 2020 AT 10:36

दूषित हुई जब मातृभूमि सत्ता के अत्याचारों से ,
रोया था गुरुकुल जब पापी आतंकी व्यवहारों से ,
तब विष्णु ने जन्म लिया धरती को मुक्त कराने को,
' विधुदभी फरसे' का धारक परशुराम कहलाने को ,
जमदग्नि -रेणुका पुत्र भृगुवंश से जिसका नाता था ,
विष्णु का आवेशवतार शास्त्र शास्त्र का ज्ञाता था ,
जटाजूट ऋषिवीर अनोखा अद्भुत तेज का धारक था ,
था अभेद चट्टानों सा जो रिपुओं का संहारक था,
शिव से परसु पाकर 'राम' से परशुराम कहलाया था,
अद्वितीय योद्धा था जिसने हर दुश्मन मात खाया था ,
प्रकृति प्रेमी रश्मि माता-पिता का आज्ञाकारी था,
एक सिंह होकर भी जो लाखों सेना पर भारी था ,
ध्यानमग्न पिता को जब हैहय कार्तवीर्या ने काट दिया,
प्राण लेकर दुष्टों के सबसे धरनी 21 बार था पाट दिया,
आततायो से रक्त से जिसके पंचझील तैयार किया,
कण- कण ने भारत भूमि का तब उनका आभार किया,
मुक्त कराया कामधेनु को, धरती को उसका मान दिया,
ऋषि कश्यप को सप्तद्वीप भूमंडल का दान किया।।

कुमार शशि
राही अंजाना


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21 APR 2020 AT 17:53

खत्म हो गई है वह जिंदगी जिसे हम कभी थकान कहते थेl

एक महामारी ने हमें बीमार कर डाला है,
अपने ही घर में हमें मेहमान कर डाला है,
महज यह वक्त गुजरता ही नहीं,
हमें तो अपनों ने ही परेशान कर डाला है,
वह रोड पर की मस्ती, कहां गई दोस्तों की हस्ती,
यह बीमारी बहुत कुछ छीन गया,
हंसना ,खेलना ,कूदना ,घूमना सब हीन गया ,
सभी रास्ते सुनसान हैं, वीरान है जिंदगियां,
कहते हैं घर में रहना बहुत आसान है,
पर मन बहुत परेशान है,
अब तो नींद भी सो गई है,
ना जाने वह भी कहां खो गई है,
मायूसी छा गई है,
सन्नाटा पसरा है ,
अंधकार में जग लोक लग रहा है,
कोई तो चमत्कार हो जाए,
या ऊपर वाले से एक बार बात हो जाए ,
यह दौर कब गुजरेगा पूछ लेता मैं ,
अगर उससे एक बार मुलाकात हो जाए।।😢😢

राही अंजाना....
( कुमार शशि)

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9 MAR 2020 AT 17:23

कि वह कह रही थी आना मेरी गली में तुम कभी दीवाना बन जाओगे,

रंग ऐसा लगाऊंगी की कभी मुझको भूल ना पाओगे,

याद आज भी आता है वह गली जाने को,

याद आज भी वह आता है गली जाने को ,

लेकिन वहां वह नहीं है मेरे को रंग लगाने को।।

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9 MAR 2020 AT 17:17

कि कभी मिल होली के त्यौहार में रंग दिखलाएंगे तुम्हें
काश उसी रंग में हम रंग जाएंगे तुम्हें.....

To one of the my best......FrIeNd

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9 MAR 2020 AT 17:14

बृज की होली में राधा रानी श्री कृष्ण से कहते हैं कि अबकी बार आना होली में मेरी गली में फिर बताऊंगी

तो कृष्ण क्या कहते हैं सुनिए......

की सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊंगा ,
तेरी गली में क्या होगा यह मालूम है पर आऊंगा,
झूम रही है सारी दुनिया खजुराहो की मूरत सी ,
इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना मर जाऊंगा......☺️☺️☺️

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9 MAR 2020 AT 17:09

इस बार की होली में क्या होना चाहिए मैं कामना करता हूं

की हर एक रांझे को मिल जाए जो उसकी की हीर होली में ,
चटक रंगों में घुल जाए तो दिल की पीर होली में,
हमारे दिल के दिल्ली में जो राजस्थान में पसरा है ,
तो उसे छूकर लबों से तुम करो कश्मीर होली में।।

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