नींद की आगोश से निकल के,
खुद को खुद में तराश रहा हूं मैं,
कुछ साथ उनका है,कुछ साथ मेरा है
विकृतियों को आकृतियों में ढाल रहा हूं मैं।
शुभ प्रभात 😊-
वक़्त मिले तो जरूर पढ़ना,मैं अपने जज्बात लिखता हूं।
Med... read more
आओ, चलो बैठे,कुछ बात हो जाए।
बहुत बेकाबू है मन मेरा,एक मुलाकात हो जाए।
कुछ तुम कहना शोख से,हम नज़ाकत से सुनेंगे।
दिल के मतभेदों को,आपस में मिलके सुलझाएंगे।
चंद लम्हों की जिंदगी में,यूं रूठा न करो तुम।
खामोश हो जाऊं मैं,यूं खफा न हो तुम।
दर्द दिल का छुपाना,मुझे नहीं आता।
टूट कर मुस्कुराना,मुझे नहीं आता।
इतनी दूर आके भी,ना समझ सके तुम मुझे,
अकेले लौट कर आना,मुझे नहीं आता।
आओ,चलो बैठे,थोड़ी गुफ्तगू हो जाए,
बहुत अधीर है मन मेरा,एक मुलाकात हो जाए।-
खुद की इच्छाओं से रोज खेलता हूं मैं,
जीत मुकम्मल होती नहीं और हार मुझे मंजूर नहीं।-
जी हां, OCD से ग्रस्त हूं मैं,
तुझे मुड़-मुड़ के हज़ार बार देखके
मन को तसल्ली जो देता हूं।-
पेड़-पौधों की अहमियत कुछ यूं लगा लीजिए,
कि पेड़ काटने आए थे कुछ लोग मेरे गांव में,
बहुत तेज धूप-गर्मी है कह,बैठ गए उसी के छांव में।
तो पृथ्वी पर जीवन को सुचारू रुप से चलाने के लिए पेड़-पौधों का समुचित तरीके से बचाव बहुत जरूरी है।
#PlantTrees 🌴 #SaveForest #Savelife
WORLD 🌍 ENVIRONMENT DAY 🌴
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चाह नहीं मुझे Passive मुहब्बत की,
इंतजार तो उस दिन का है,
जब Actively इश्क़ हो तुम्हें मुझसे,
Active Assitive इश्क़ के लिए भी राजी हूं मैं,
क्यूंकि इश्क़ का एक पहलू Mutualism भी है।
Physiolove ❤️-
जो देखता हूं,बोलने की हिम्मत रखता हूं।
मेडिकोज हूं,
नब्ज़ पकड़कर आजमाने की ताकत रखता हूं।-
हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन विधि- विधान से माता सरस्वती की पूजा- अर्चना की जाती है। इस साल बसंत पंचमी का त्योहार 5 फरवरी, शनिवार को मनाया जा रहा है। इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। बसंत पंचमी वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी का त्योहार माघ महीने के पांचवें दिन यानी पंचमी को पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थीं, जिस वजह से बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है। बसंत पंचमी के दिन लोग मां सरस्वती की पूजा विधि-विधान से करते है।
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चिर निद्रा की आगोश में मैं लिपट रहा हूं ऐसे,
मृतप्राय जिस्म की जिजीविषा तृप्त हो रही हो जैसे।-
ऐ रात,थोड़ी मोहलत तो दे,तुझे भी तेरी औकात दिखाऊंगा।
एक पहर तो सोने दे अपनी आगोश में,
टूट चुका हूं,पर बिखरा नहीं हूं, मैं फिर वापस जरूर आऊंगा।
जुगनू भरी रातों में,शशि-तारों के मध्य,खुद की छाप छोड़ जाऊंगा,
वादा है खुद से,वक्त भले जो लगे,पर अपनी एक नई दुनिया बसाऊंगा।-