Shashi Jnv   (Shashi ششی)
1.7k Followers · 1.4k Following

Hakuna Matata! Love doing art..🥰😍
JNV ALUMNI 2011 batch😊👍
Joined 15 December 2017


Hakuna Matata! Love doing art..🥰😍
JNV ALUMNI 2011 batch😊👍
Joined 15 December 2017
30 DEC 2024 AT 19:13

हमारे कल और आज को जोड़ती एक पुल!

-


30 DEC 2024 AT 6:35

अगर हमने कभी बात करना बंद कर दिया
तो क्या तुम समझोगी खामोशी की जुबां
बातें जो लफ्जों में कह दिए थे तुमने सहज
कह देना अब मुझे चंद इशारों से महज
अजी इशारों में बातों की समझ शब्द क्या जाने
तारों का टिमटिमाना हो कि जुगनूओं का चमकना
चांद का नूर टपकना और सागर में लहरों का उठना
कभी करती हवाएं शरारत कि पेड़ों को गुदगुदाना
ये सब इशारे ही तो हैं एक दूसरे से प्रेम के मायने
तो क्यों ना देखें आओ हम भी खामोशी के आईने।

-


29 DEC 2024 AT 10:58

As humans, we have divided the ability to enjoy life into many forms. If we achieve one dream, we start running towards another.
Everything would have been easier if we too, like animals, found happiness in life in contentment.

-


28 DEC 2024 AT 6:37

जो कल एक लम्हे की शादमानी को
हमसे मिलने बेकरार रहते थे!

-


28 DEC 2024 AT 6:26

Having children is an unnecessary task when there are many orphans roaming around in this world. You can also become a parent by adopting a child.

-


27 DEC 2024 AT 12:14

याद है आपने कहा था कि आप मुझे कभी भी अपने से दूर नहीं करोगे तो फिर यहां क्यों ले आए मुझे।
जिंदगी में कुछ राहें हमें अकेले चलने होते हैं और वैसे एक बात बताऊं यहां तुम बिल्कुल भी अकेले नहीं होगे। बस कुछ दिनों में तुम्हें पता चल जाएगा डियर कि तुम्हारे जिंदगी में होने वाले सबसे अज़ीज़ दोस्त तुम्हें सिर्फ यहीं मिलेंगे।
पिता और पुत्र के बीच होने वाले इस वार्तालाप को सुनने वहां सिर्फ कुछ टेबल बेंच और ग्रीनबोर्ड के अलावा कोई नहीं था।
दोनों की आँखें नम थीं पर वजह अलग–अलग। पुत्र की नम आंखों में पिता से दूर जाने के अश्रु छलक रहे थे और पिता की आंखों में अश्रु की वजह टेबल पर लिखा एक नाम था जिसपर वो अब तक अपना हथेली रखकर बैठा था। पिता नहीं चाहता था कि अभी बेटा वो नाम देख ले। कुछ बातें होती हैं जो समय बीतने के साथ पता चले तो ही अच्छा। उस नाम के जिक्र से जुड़े उदासी की कोई और वजह वो उसे नहीं देना चाहता था। अपने बेटे का उस नाम से रुबरु होने का सिलसिला उसने समय पर छोड़ रखा था।
वो कक्षा 12 के B सेक्शन में बैठे थे। नवोदय विद्यालय में नई कक्षा में प्रवेश आरंभ हो चुकी थी। अशोक अपने बेटे अंकुर को कक्षा 6 में दाखिला दिलाने लाया था। उसी स्कूल में जहां वो खुद पढ़ाई करके निकला था। उसका कब का सपना था कि अपने बच्चे को भी उसी स्कूल में पढ़ाना जहां से उसने ना केवल शिक्षा बल्कि जीवन जीने की कला भी सीखी थी।

-


24 DEC 2024 AT 8:56

when we started taking decisions by putting ourselves in their place.

-


23 DEC 2024 AT 9:34

Making false promises that I know
I can't keep.
Whether it's to myself or to others.

-


20 DEC 2024 AT 9:47

First: Reading books can heal my mind.

Second: Our thought that we will get another chance tomorrow is just an illusion. Life is so unpredictable, so why don't we do our best today itself.

-


14 DEC 2024 AT 6:00

जब एक पिता को उनके मौत से पहले
किसी ने ये सवाल किया कि
अपने बच्चों के लिए
आप कितनी धन संपदा छोड़े जा रहें हैं?
तब उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा,
कुछ हजार पुस्तकों से भरी वो अलमारी
जो उन्हें जीने के फ़लसफ़े सिखा सकें।

-


Fetching Shashi Jnv Quotes