Shashi Anand Singh   (~~~"वैरागी मन"~~~)
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Joined 5 May 2020


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29 JAN 2022 AT 22:04

खुद से खुद को..
खुद को सार्थक करने को ।— % &

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26 JAN 2022 AT 20:39

आंखों का वो गठबंधन
जो एक एक - दूसरे को देख सुकून पाती है ।

क्या भूल पाओगे
दिलों की वो धड़कन
जो एक साथ धड़का करती है ।

क्या भूल पाओगे
वो मौन अभिव्यक्ति
जो कहे बिना ही एक - दूसरे को समझ आती है ।

— % &

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23 JAN 2022 AT 9:32

ऐ साजन.!
न भूख प्यास सताए
न सजना संवरना भाय
तेरी याद में हूं ऐसी
जैसे तितली बिन पंख फड़फराए ।

न हंसी खुशी बुझाए
न कुछ समझ आय
तेरी याद में हूं ऐसी
जैसे मछली बिन पानी तड़प जाए ।

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20 JAN 2022 AT 22:09

सांसों की डोर से बंधा है तेरा - मेरा रिश्ता
जीते जी न टूटेगा ।

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20 JAN 2022 AT 21:32

जीने का सहारा मिला
इस डूबते मांझी को
तेरा किनारा मिला ।

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17 JAN 2022 AT 13:42

तुम से क्या कहूं बाबा !
जैसे तुम अव्यक्त हो...
वैसी ही हैं मेरी भावनाएं...
बस स्वीकार कर लो ।

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15 JAN 2022 AT 13:23

या
सज़ा दे दो
जो भी दो
पूरा दो ।

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15 JAN 2022 AT 13:15

ऐ चांद !
मेरे पास भी एक चांद है ।

तुझमें तो कई दाग है
पर मेरा चांद बेदाग है ।

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14 JAN 2022 AT 22:20

तुम्हारी आंखों में...
सहर होने तक ।

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14 JAN 2022 AT 21:55

हर बार मेरा दिल घायल हुआ है
तुम्हारी आंखों की जद में आकर ।

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