Shashank Upadhyay   (शशांक उपाध्याय 🖋️)
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Joined 6 August 2019


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2 JAN AT 0:04

बदलाव बेहद ज़रूरी हैं क्यूंकि,
इसलिए
प्राकृति निरंतर बदलाव जारी रखती हैं
दिन महीने साल....
हालात....
इन्सान!
सब बदलते हैं

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29 DEC 2023 AT 23:29

खुशी तो हैं मगर खुदको खो दिए हम
सुकून की चाह में कुछ कीमती छोड़ दिए हम ।
अब तारीख हों नई, या हों नया साल
वक्त ने बदल दिए हैं हमारे हर किरदार ।

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29 JAN 2023 AT 23:41

वक्त वक्त की बात हैं जनाब..
जब जेब में पैसा औकाद से ज़्यादा आ जाता हैं
तो इंसान रेत रेगिस्तान देखने भी Dubai जाता हैं।।

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24 OCT 2022 AT 23:16

गरीबी ने इंसान से त्यौहार भी छीन लिए,

कुछ क़िस्मत से तो कुछ शरीर से लाचार हुए,

गरम जेब के वो इंसा औदे में जो अमीर हुए,

कही जले दीये तो कहीं रौशन आगार हुए।।

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24 OCT 2022 AT 22:21

मूंदी होती हैं जब आंखें तो नींद भूल जाता हूं ।।

क्या करूं इश्क़ का सबब ही कुछ ऐसा हैं

तुम्हारी तस्वीर को भी देख ज़माना भूल जाता हूं ।।

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7 OCT 2022 AT 21:09

मैं चांद बोलेनाथ का और तुम मेरा नूर हों,
मैं हूं ऋतु बसंत की और तुम मेरी बहार हों।

कशिश हों तुम मेरे खुशहाल जीवन की,
मेरी दुआ भी तुम और बंदगी भी तुम ही हों।

मैं अंजान हूं बेखबर मेरे सफ़र से मगर,
साहिल तो मेरे जान तुम ही हों।

अपूर्ण हूं सिर्फ़ एक मात्रा के सहारे,
हां वो मेरा सहारा ए पूर्ण विराम तुम ही हों।।


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13 JUN 2022 AT 23:02

वो अनंत की परीभाषा लिए एक उन पर जा ठहरा
छिपी हुई थी सूरत पर्दे के पीछे वो सीरत पर जा ठहरा।

बावरा बन, समान भवंरे के वो कोमल फूल पर जा ठहरा
डोर थामी दोस्ती की और राह हमसफर बना कर ठहरा।

दुआएं करते करते उन्हें ही खूबसूरत विश्व बना ठहरा
होकर भीड़ का हिस्सा वो संसार ही उन्हें बना ठहरा।

वो प्रीत बन सुंदर प्रेम की धड़कनों में जा ठहरा
वो भाव जिसे आभाव था अस्तित्व इश्क़ में जा ठहरा।

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6 JUN 2022 AT 23:18

लोग कहते हैं ये "दौर" मोहब्बत का नहीं
लोग कहते हैं ये "दौर" मोहब्बत का नहीं!
तो अर्ज़ किया हैं कि जनाब...
मोहब्बत को न दो किसी "दौर" का वास्ता
मोहब्बत को न दो किसी "दौर" का वास्ता!
जो फासलों को कम करदे,
जो बंधनों को कम करदे,
जो करदे मजबूर रुकने के लिए,
हर किसी ही नहीं सिर्फ़ एक के लिए!
जिसमें इबादत का इत्र हों,
जिसमें रूबरू हों सांसें फिर भी वो पवित्र हों,
जिसमें रास्ते अनेक और मंज़िल एक हों,
जनाब वहीं मोहब्बत हों तेरा मेरा की जगह हमारा हों!
मोहब्बत वही हैं जनाब जो हर "दौर" में हों।।



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29 MAY 2022 AT 22:58

मैं हसीन क्यों ना रहूं, मेरे साथ मेरी हसीना हैं
वो फूल हैं कवल का और वहीं मेरी नगीना हैं

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23 MAY 2022 AT 8:16

इन नज़रों ने कभी उनकी कमियां ढूंढी ही नहीं
बस मोहब्बत ही हैं जिसे पाकर नज़रे थम गई

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