Shashank Singh   (शशांक सिंह)
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Banarasi
Joined 19 June 2020


Banarasi
Joined 19 June 2020
1 JUL 2020 AT 15:13

तू मुस्काती सुबह मैं गुलाबी शाम बन जाऊं
तू बन जा मेरी राधा मैं तेरा श्याम बन जाऊं
बरसे जो काले मेघा मैं तेरी प्यास बन जाऊं
तपती धूप हो अगर मैं तेरा छाँव बन जाऊं
जो हो कोई मुसीबत मैं तेरी ढाल बन जाऊं
हो अगर तू उदास मैं हँसता ख्वाब बन जाऊं
तू बन जा मेरी सीता मैं तेरा राम बन जाऊं।

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30 JUN 2020 AT 13:21

वही जुगनू, वही चाँद और वही तारे
तेरी तारीफ में इन्हें और कितना नाराज करें।

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29 JUN 2020 AT 20:14

वैसे तो कोई दौलत और शोहरत नहीं है मेरे पास
पर एक चाँद सी लड़की है जो मुझपे जान छिड़कती है।

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29 JUN 2020 AT 14:47

बड़ी शिद्दत से बनाई जा रही है दीवार पे तश्वीर
लगता है अभी नया-नया है तुम्हारा इश्क़

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29 JUN 2020 AT 12:13

कभी डूबकर देखो तो इश्क़ के समंदर में
ये लिखने का हुनर यूँ किनारों पे नहीं आता।

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28 JUN 2020 AT 20:50

तमन्ना बस इतनी सी थी कि कोई टूटकर चाहे हमें,

कम्बख्त हम भी टूट गए और तमन्ना भी।

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28 JUN 2020 AT 10:04

बस ख्वाहिश रहती है तेरे साथ वक़्त बाँटने की
काम मुझे भी होता है मैं बेकार थोड़ी हूँ,
पूछती है हाल मेरा तू जब खुद तन्हाइओं में हो
अरे मेरा भी दिल है कोई शाम की चाय थोड़ी हूँ।

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27 JUN 2020 AT 14:42

*कुछ बात किया जाए*

आओ बैठ कर कुछ बात किया जाए
अपने अपने दर्द को अल्फ़ाज़ दिया जाए
न जाने कैसी होड़ सी लगी है जिंदगी में
वक़्त ही नहीं है किसी को किसी के लिए
इस दौड़ भरी जिंदगी को थोड़ा विराम दिया जाए
आओ बैठ कर कुछ बात किया जाए।
कुछ तुम अपनी कहना कुछ हम अपनी कहेंगे
इस बहाने कुछ समय हम साथ तो रहेंगे
चलो ज़िन्दगी को मुकम्मल ख़्वाब दिया जाए
आओ बैठ कर कुछ बात किया जाए।

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27 JUN 2020 AT 13:52

सोचता हूँ दो चार नज़्म लिख दूँ तेरे हुस्न पे पर,

कम्बख्त फुरसत ही नहीं मिलती तुझसे इश्क़ करने से।

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27 JUN 2020 AT 13:21

होता होगा बड़े शहरों को गुमान चकाचौंध का
पर बनारस के घाटों की बात कुछ और है


नशा तो हमें तेरी आँखों का भी खूब है
पर अस्सी वाली चाय की बात कुछ और है।

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