Don't Dominate
Only Motivate-
पल पल बीता
कुछ जीता कुछ रीता
समय का पहिया भला रुका कब ?
सब राह अपने चल दिए
और हम रह गए...
बस सीते ।-
The pandemic proved to be
SCARY, TEARY & WEARY
for the people as well as the doctors.
-
याद है,
वो तेरा छत पर आना नंगे पाँव
देता दिल को सुकून और आँखों को छांव
वो सूखते कपड़ों को समेट तेरा वापस चले जाना
और तेरी निगाहों का वो अंदाज कातिलाना ।
आज भी याद है,
तेरा घर और वो आगे का छोटा सा बगीचा
फूलों को पानी देते तुम्हारा दुपट्टेदार सलीका
तेरे घर के सामने ही मेरे साइकल का चेन उतरना
या पैदल चलते अपने कदमों का सुस्त पड़ जाना।
सब याद है,
आसमान में होते जब बादल घनघोर
जब रहती हमउम्रों में तेरा दीदार पाने की होड़
तुम्हारा वो भीगते कपड़ों को उठा भाग जाना
और इधर फाजिलों में आहे दर्द निकल जाना।
-शशांक शेखर
-
जब से सुना दीवारों के कान होते हैं
तभी से उनसे बातें करने लगा।
दिवस, मास और वर्ष बीतते गए
हम भी दीवारों के होते गए
हम कहते गए
दीवार सुनते गए
औरों ने सुनी न सुनी
किंतु दीवारों ने सबकुछ सुनी
कहता रहा
किंतु अपनों और गैरों ने
कभी नहीं सुनी
और दीवारों ने तो वह भी सुनी
जो हमने कही ही नहीं।
✍️ शशांक शेखर
-
Arrogance is a self-killer.
It befools you and you only.
It drives you away from your wellwishers.-
Ego blurs your vision !
Ego limits your mind !!
Ego enslaves your thoughts!!!-
आज प्रकृति हँस रही है।
वर्षों बाद बिना घुटे जी रही है।।
©शशांक शेखर-
मैं तन्हा और मेरी तन्हाई।
सबके साथ मैं चला
फिर भी अकेला
लेकिन कहाँ अकेला?
मेरे साथ मेरी तन्हाई
जैसे परछाई।
सबके बीच बैठा
मैं अकेला यहाँ
लेकिन कहाँ अकेला?
मेरी संगिनी
मेरी तन्हाई
कभी न कोई बेवफाई
जीवन की सच्चाई
घूम घाम कर आई ही आई
आरंभ से अवसान तक
साथ रहती है तन्हाई।-
पावस की अमावस को
चाँदनी कर दो
हिज में प्रेम अंकित कर
जन मन को झंकृत कर
कलुषित मन में,
तिमिर घन में
कौंधे चेतन बिजली जैसी
रागनी तुम छेड़ो
ऐ वीणा वादनी ऐसी!
✍️शशांक शेखर-