shashank mishra   (Shashank Mishra)
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"शब्दों की दुनिया में खोया हुआ, कविताओं का सफर। ✍️📖"
Joined 3 March 2024


"शब्दों की दुनिया में खोया हुआ, कविताओं का सफर। ✍️📖"
Joined 3 March 2024
22 APR AT 22:49

गर मुस्कुराहटो का दाम
आसूं ही है
तो इन आंखों को
जमजम का समंदर बना के देख

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20 APR AT 6:14

बिक गया था कौडियों भाव
इस बाज़ार में
फिर भी कह रहा है
बहुत कीमती हूं मैं

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19 APR AT 22:15

*ये दिन भी गुजर जाएंगे*
कौन अपना है और कौन पराया
ये फिर ना बताएंगे
उतरते ही वक्त के चश्मे
सभी नजर आएंगे
देख लेना ए मुसाफिर
ये दिन भी गुजर जाएंगे

बहते आंखों से आंसू
टूटे सपनों का दुख
बिगड़ते हालात में केवल
सच्चे ही साथ निभाएंगे
थाम ले दिल को अपने
ये दिन भी गुजर जाएंगे

खून पानी हो गया सारा
निगाहें भी तार तार हो गई
जिन्हें अपना जाना था अब तक
वो बातें बेकार हो गई
वक्त बिगड़ते ही सभी बेरंग हो जाएंगे
धैर्य रख मन में अपने
ये दिन भी गुजर जाएंगे
ये दिन भी गुजर जाएंगे

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19 APR AT 21:23

*नए दौर में*
खाली झोला लेकर आए
कितने नए साथ बनाए
कुछ मामूली कुछ खास बनाए
कितना समय लगा था सबको अपना बनाने में
हम भी चल पड़े थे इस नए दौर को अपनाने में
परिधान बदल बैठे सारा
व्यवहार बदल गया हमारा
आधुनिकता की होड़ में
विचारहीन भी लगता प्यारा
कितने हर्षित हो जाते ऐसे व्यर्थ दिखावे में
हम भी चल पड़े थे इस नए दौर को अपनाने में
जननी की बातें जन्मभूमि का
एहसास हृदय में जगा
फिर लगा कि मानव जीवन में
विचार नया ही जागा
उज्जवल भविष्य सदा बनता है
मात-पिता गुरु और संतों की वाणी अपनाने में
हम भी चल पड़े थे इस नए दौर को अपनाने में
छोड़ के सारे व्यर्थ दिखावे
ईर्षा, द्वेष, अभियान त्याग के
प्रेम ही प्रेम के लगे गीत गुनगुनाने में
छोड़ नए दौर को लगे अपनों को अपनाने में

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19 APR AT 19:17

*नए दौर में*
खाली झोला लेकर आए
कितने नए साथ बनाए
कुछ मामूली कुछ खास बनाए
कितना समय लगा था सबको अपना बनाने में
हम भी चल पड़े थे इस नए दौर को अपने में
परिधान बदल बैठे सारा
व्यवहार बदल गया हमारा
आधुनिकता की होड़ में
विचारहीन भी लगता प्यारा
कितने हर्षित हो जाते ऐसे व्यर्थ दिखावे में
हम भी चल पड़े थे इस नए दौर को अपने में
जननी की बातें जन्मभूमि का
एहसास हृदय में जगा
फिर लगा कि मानव जीवन में
विचार नया ही जागा
उज्जवल भविष्य सदा बनता है
मात-पिता गुरु और संतों की वाणी अपनाने में
हम भी चल पड़े थे इस नए दौर को अपनाने में
छोड़ के सारे व्यर्थ दिखावे
ईर्षा, द्वेष, अभियान त्याग के
प्रेम ही प्रेम के लगे गीत गुनगुनाने में
छोड़ नए दौर को लगे अपनों को अपनाने में

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13 APR AT 22:26

हर एक नाउम्मीदी को दिल से निकाल दो
जब तक पतझड़ आए बाग को संभाल लो
कौन जाने अबकी बरसात का आलम
हाथ बढ़ाकर मोहब्बत की छतरी संभाल लो

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13 APR AT 22:09

अंधेरों को भी बड़ा गुमान था खुद पर
बस एक चिराग ने ही हस्ती मिटा दी
वो कहते हैं कि तुमको जीने नहीं दूंगा
ऐसी लगी आग की सारी बस्ती मिटा दी

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13 APR AT 22:07

अंधेरों को भी बड़ा गुमान था खुद पर
बस एक चिराग ने ही हस्ती मिटा दी
वो कहते हैं कि तुमको जीने नहीं दूंगा
ऐसी लगी आग की सारी बस्ती मिटा दी

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13 APR AT 21:48

हर एक नाउम्मीदी को दिल से निकाल दो
जब तक पतझड़ आए बाग को संभाल लो
कौन जाने आपकी बरसात का आलम
हाथ बढ़ाकर मोहब्बत की छतरी संभाल लो

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13 APR AT 21:25

मैं मर भी जाऊं तो याद रखना
मेरी हर नज़्म को आबाद रखना
इतना आसान नहीं होता बसर ए जिंदगी
बनूं जब किताब
तो हर एक पहलू को सीने से लगा के रखना

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