समझ पाता अगर हर कोई मुझे,
तो मेरी सख्सियत आम हो जाती..!-
Sharmin Muzaffer
(Sharro)
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लो सफर शुरू हो गया..!
Joined 8 June 2018
1 APR 2019 AT 11:26
हार तो तय थी मुहब्बत के खेल मे,
मुद्दा ईमान का था और किस्सा बेईमान का!-
1 APR 2019 AT 9:27
"इज़हार भी जरूरी था,
इनकार भी जरूरी था,
तेरा होना भी जरूरी था,
तेरा ना होना भी जरूरी हैं।"-
25 MAR 2019 AT 20:48
रूबरू होना पड़ता है तकलीफों से
यूँही कोई क़ाबिल-ए-तारीफ नही होता..-