वो मिल जाये मुझे तो
यूं समझूंगा शारिक़ ,
जन्नत का ऐलान हो
किसी गुनाह-गार के लिये!
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अच्छी बेटी थी
अपने बाबा की,
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मेरी बातों में
वो नहीं आयी!-
Un Ka Aana Sirf Mere Khawab Tak
Mehdood Hai, Rabta Hote Huye Bhi
Rabta Koi Nahi...
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koi muntazir hai uska
kitni shiddat se….
wo janti hai par
ANJAAN bani rehti hai….-
वह जिसकी छांव में इतने साल गुजरे
वह पेड़ मुझसे बात क्यों नहीं करता,
मोहब्बत में कौन बच के निकला है शारिक़,
तू बच गया है तो फिर खैरात क्यों नहीं करता-
मैं उसको देखने को तरसता ही रह गया ,
जिस शख़्स की हथेली पे मेरा नसीब था ।।
बस्ती के सारे लोग ही आतिश-परस्त थे ,
घर जल रहा था और समुंदर क़रीब था ।।-
Ye shikayate nahin,tajurbe hain sahab!!
Qadr walo ki koi qadr nahin hoti!!!
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'Wo apni jeet par khush,
zeid khumar betha hai'
Usko khabar karo,
'wo mujhko haar betha hai'-
क्या क्या थामुँ इस छोटी सी हथेली से?
तेरा दर्द
तेरी दोस्ती
या तेरा प्यार?😐-