बरसात आई है तुम भी आओ ना
चार सावन गुज़र गए,
पर साथ भींगने की ख्वाइश अब भी अधूरी है
तुम आओ न मुझे साथ भीगना है ।
बेरंग ज़िन्दगी में रंग भरना है,
तुम आओ न तुम्हारे साथ होली खेलना है ।
मै हाथ पकड़ूँ ,तुम शरमाना ,
मैं देखूं तुम्हें, तुम मुस्कुराना,
अपनी बक बक सुनाने , तुम आओ ना ।
ये मीलों का फासला मिटाओ ना,
उन यादों की गर्माहट लाओ ना ,
ए तुम आओ ना ।
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