इश्क़ विश्क प्यार मोहब्बत
इनसे कोई वास्ता ना था,
ना थी चाहत मंजिलों की
ना सफर, रास्ता ना था!
पर अचानक जाने कैसे
चलते हुए ठहर गई,
ख्याल बदले से लगे
क्या हुआ कुछ पता नहीं!
बस जानती हूं इतना
कि तुम साथ अच्छे लगते हो,
कभी बड़ों सा रौब जताते
कभी मासूम बच्चे लगते हो!
ये प्यार है या फिर नहीं
ना जानने की ख्वाहिश है,
बस साथ चलना, गर हो सके
इतनी सी फरमाइश है!— % &-
#Sharda_Jha
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@loveunequivocal
@theimaginationgi... read more
प्रयत्न भी करूं
तो अब नहीं अंकुरित होगी
नए प्रेम की बीज!
जाते हुए कोई हृदय की भूमि
को बंजर कर गया है।-
एक लड़की!
आज़ाद पँछी के नाम से
पूरे शहर मे है मशहूर,
एक लड़की!
दरवाज़े तो दूर छोड़ो
खिड़कियों से भी है दूर।-
फिर थाम आंचल मां का
एक और बार उठी शारदा!
नया काम, नए दोस्त
नई दिशा में चली शारदा!
फिर साहस किया और समेटा खुद को
प्रतिभा से लबालब, हुनरबाज़ शारदा!
कहीं दूर कल को पीछे छोड़ कर
लिखने लगी अपना आज, शारदा!
आज पंख फैला कर बढ़ चली उस दिशा
जहां रखी है सपने समेट, शारदा!
आज पहली सीढ़ी को पार कर गई
हो गई ग्रेजुएट शारदा!-
मोबाइल से बोलने का सफर शुरू कर, अब टीवी पे आने लगी शारदा!
फिर एक वक्त ऐसा भी आया, जब अपनों से ठुकराई गई शारदा!
जिसके लिए सब हारती गई, उसी के लिए हार गई शारदा!
समेटने लायक नहीं बची, इस कदर बिखरी शारदा!
स्तिथि ऐसी भी आई कि जिंदगी और मौत के बीच जूझी शारदा!
सांसें तो बच गई, पर टूटे दिल संग रोई, शारदा!
नींद की गोलियां ले लेकर, कई रात सोई, शारदा!
फिर गिरा स्वास्थ्य, गिरता रहा और दर्द से लड़ती रही शारदा!
जितने पल धड़कनें चलती, उससे ज्यादा पल मरती रही, शारदा!-
छोटी बड़ी हर विधा में आगे, राज्यपाल द्वारा सम्मानित हुई शारदा!
कॉलेज से बढ़कर विश्वविद्यालय में भी, हर प्रस्तुति में विजयी हुई शारदा!
फिर एक दिन टांग बस्ता कंधे में, ली साइकिल और निकल पड़ी शारदा!
खुद के लिए खुद करने का जुनून और जोश से भरी शारदा!
फिर नए लोग और नए दोस्त और मोह माया में फंसी शारदा!
पूरी दुनिया को सुंदर मानती, कल्पनाओं में बसी शारदा!
सोशल मीडिया का क्रेज चढ़ा, फोटोहॉलिक बनी शारदा!
नॉलेज भी बढ़ता गया, बातों में रखने लगी लॉजिक, शारदा!
कभी हुनर तो कभी शरारत, हर जगह आकर्षण बनी शारदा!
पहेली की तरह लोगों के लिए, हमेशा एक उलझन रही शारदा!
खुद पढ़ते पढ़ते बच्चों को भी, अब पढ़ाने लगी शारदा!-
कुछ दवाई, कुछ मां की सेवा, कुछ बहनों की देखरेख से सुधरी शारदा!
कुछ कुछ खाली रहने लगी थी, बीमारी से उबरी शारदा!
फिर किया हिम्मत और उठ खड़ी हुई
और किताबों को देने लगी वक्त शारदा!
जी जान से शिक्षा को अपनाया, समझने लगी पढ़ाई का महत्व, शारदा!
फिर परिणाम आया बोर्ड का, जिला टॉपर बनी शारदा!
बचपन गुजार विद्यालय में, कॉलेज में दाखिला ली शारदा!
फिर धीरे धीरे सभी को पीछे छोड़, हर कला में अव्वल हुई शारदा!
गुरुजनों के आशीष और प्रेम, से खिली, फली फूली शारदा!
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संभाषण और वक्तृता में, जिला स्तर पर पहचान बनी शारदा!
जिला अधिकारी से कई बार, विभिन्न विधाओं में पुरुष्कृत हुई शारदा!
दोस्तों की लंबी फौज बना ली, सबसे तारीफ और प्यार पाई गुणी शारदा!
कोई नापसंद करे, उसे बुरा कहे, तो कोई कहे भली शारदा!
रास्ते में शैतानियां करती, थोड़ी ढीठ बनी शारदा!
बेबाकी से बढ़कर निडरता में, प्रवेश कर गई शारदा!
चहकती, इतराती, अचानक से, पड़ गई बीमार शारदा!
रहने लगी मायूस सी, कमजोर और निढ़ाल शारदा!-
मध्यम कक्षा से निकलकर, जब हाई स्कूल पहुंची शारदा!
विद्यालय हो या जिला स्तर, वक्तृता और लेखन में प्रथम हुई शारदा!
कोरस में गाते गाते, शास्त्रीय गायन भी करने लगी शारदा!
डायरी, चिट्ठी लिखने की शौक़ीन, कविताएं भी रचने लगी शारदा!
खुद में और दूसरों में, समझने लगी अंतर शारदा!
किताबों का बोझ, दर्पण से इश्क, लगने लगी सुंदर शारदा!
झिझिया, झरनी, हिप हॉप की मंच पर प्रस्तुति
नाटक भी खुद रच उसे दर्शाने लगी शारदा!
लघु कथाएं, लेखन, गायन की कला से, सजने - संवरने लगी शारदा!
घर में धीरे धीरे छोटे बड़े, हर स्तर के पुरुस्कार भरने लगी शारदा!
जिस भी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, बिना जीते नहीं रही शारदा!-
कक्षा एक में ही माइक थामा, आत्मविश्वास से भरी शारदा!
कुछ मां की सीख, कुछ स्कूल की भेंट और आगे बढ़ती गई शारदा!
सांवला रंग, छोटे बाल और शर्ट पैंट पहनी शारदा!
घर हो या बाहर, बचपन से ही बहुत तेज़ रही शारदा!
ज्यों ज्यों उम्र बढ़ती गई, कुछ नया सीखती रही शारदा!
अब बचपन से निकलने लगी थी, कल तक छोटी रही शारदा!
मुंहफट और बेबाक, थोड़ी बद्तमीज हुई शारदा!
घर के लोगों की सीख ना सुहाए, होने लगी चिरचिरी शारदा!
बदमाश लड़की की मुहर पाकर, हाजिरजवाब बन गई शारदा!
कभी फुदकती, कभी इतराती, चंचल और चहकती शारदा!-