मैं मान जाती हूँ
जब तुम कहते हो "बहुत बोलती हो"
मैं चुप हो जाती हूँ ,
पर जब तुम बोलते हो
मैं सुनते रहना चाहती हूँ ।
जब तुम कहते हो "दूसरों को भी समझा करो"
मैं समझ जाती हूँ ,
पर जब तुम नहीं समझ पाते
मैं अकेली पड़ जाती हूँ ।
जब तुम कहते हो "तुम्हारी ये आदतें मुझे नहीं पसंद"
मैं सम्भल जाती हूँ ,
पर तुम्हारी हर आदत मुझे स्वीकार है।
जब तुम कहते हो "वास्तविकता में जीना सीखो"
मैं मान जाती हूँ ,
पर अगले ही पल तुम्हें वहाँ ना पाकर
वापस ख्वाबों में चली आती हूँ ।-
वो रो देती है,
किसी अजनबी की आखों में भी ऑंसुओं को देखकर
जिसे तुम जमाने भर में पत्थरदिल बताते फिर रहे हो
वो खास है, ये तुम्हारी नज़र ने पहचाना ही नहीं।
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Wandering thoughts and
endless emotions,
Many paths to follow and
different notions,
Whatever we show to the world outside,
We are all soft and fragile inside.
We all are connected with each other
Each soul somehow flames the other.
Nature has a string to us all,
It always makes us recall,
Reconnect and find ourselves,
Where all the negativity dispels-
मुझे तो कोई समझने वाला चाहिए,
आजकल जो मिलता है
मुझे समझाकर चला जाता है।-
बहुत मशक्कत से इस दिल को सम्भाला है
बहते आंसुओं को पोंछकर इसे पुचकारा है
ताउम्र का वादा करने वाले
इक शख्स की मोहब्बत का
जनाजा इन्हीं नाजुक कंधों से उतारा है ।
खैरियत ना पूछो इस मुस्कुराते चेहरे की
समन्दर के उफान में कश्ती को अकेले उतारा है-
मेरे मन के समन्दर में
एक सेतु बनाकर आ जाओ
हे मेरे प्रिय, तुम साथ निभाने आ जाओ
ना डरना तुम इन लहरों से
जो तुम्हे डराने आएंगी
कुछ दर्द, कुछ चोट पुरानी तुमको ये दिखलायेंगी
पर तुम निडर होकर डटे रहना
पथ पर जो इक कदम बढाओ
मुझसे मिलने को हे प्रिय
एक सेतु बनाकर आ जाओ-
Khushnuma yun to har shaks dikhta hai,
Par sukoon ki talaash har nazar me jaari hai..
Kuch ek uski nazar ka jadoo hai,
Jab wo dekhe to aalam haseen ho jata hai..-
नज़रों में शरारत और दिल में वफा
बातों में हंसी और दूरी से खफा ।
अपनापन और यारी का खूबसूरत मेल
नादानी और मजाक का एक आपसी खेल ।
ना स्वार्थ और ना दगा के मासूम सा रिश्ता
दोस्त तुम जैसा सचमुच एक फरिश्ता ।
मस्ती और प्यार का सुहाना डगर
कुछ नहीं से कुछ खास तक का
अनोखा ये सफर ।
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जब तुम मुझसे मिलने आना
प्यार भरी निगाहें लाना
चाशनी भरे वो होंठ लाना
गर्माहट भरी वो बाहें लाना
सुकून भरा वो साथ लाना
मेरे लिए हो सिर्फ ऐसा वो वक्त लाना
जब तुम मुझसे मिलने आना।-
हर वक़्त ना देगा कोई साथ,
जब तुम बढ़ाओगे अपना हाथ।
बदल जाता है हर इंसान,
अपनी समस्या में सभी परेशान।
रिश्ते, नाते, कसमें, वादे,
लगते पूरे पर आधे-आधे।
समय के वेग से बह जाते हैं,
अश्कों के मोती रह जाते हैं।
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