"थोड़ी सी गुफ़्तगू हो जाए तो,तस्कीन हो दिल-ए-मुज़्तर को मेरे मगर,
क्या करें इतने बे-परवाह हैं वो,इतने बे-ख़याल हैं वो अब"
तस्कीन-- तसल्ली
दिल-ए-मुज़्तर - बेचैन दिल-
"अब तो सितारों को भी नींद आ गई होगी 'शनु ' !
मुंतज़िर क्यूँ हो उसके, जिसको आना ही न था !!"
*मुंतज़िर ---- in waiting-
"कैसे खिलें अरमानों के फूल,
इस दिल के चमन में !
न कोई बागबां अपना है,
न कोई उम्मीद-ए-बहार"
चमन--फुलवारी
बागबां--gardener
उम्मीद-ए-बहार-- hope of spring-
"मेरा अहवाल मुझसे नहीं,
मेरे चश्म-ए-यार से पूछो !
क्या होता है दर्द-ए-दिल,
किसी बीमार-ए-इश़्क से पूछो"
अहवाल--हाल
चश्म-ए-यार-- eyes of beloved
दर्द ए दिल-- दिल का दर्द
बीमार-ए-इश़्क--प्रेम के रोग का रोगी
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"ख़ुद ही मिटा दिया 'शनु' हर नक़्श,
उसकी याद का मैंने!
अब हर शाम तन्हा है ,
तो गिला कैसा,शिकवा कैसा"
नक़्श---निशान
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"दिल में इक दर्द सा उठा, अश्क-बार हो गईं आँखें मेरी !
यूँ ही बैठे थे,कैसे बताएं,
क्या याद आया"
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"गर तू पिलाए अपने हाथों से,
जाम-ए-ख़ुशगवार मुझे !
ता-ब-हश्र न होगा मेरी जाँ कभी, ख़ुमार मुझे"-
"दर कितने ही वा( खुले)क्यूँ न हों,
कदम किसी जानिब(ओर) बढ़ाता नहीं मैं!
शहर नया हो,या हो पुराना,
किसी से रब्त (सम्बन्ध)बढ़ाता नहीं मैं"
"आग़ाज़-ए-सफ़र-ए-इश़्क उन्हीं से, मंज़िल-ए-इश़्क भी वही!
नामुुकम्मल रह गया मेरा इश़्क 'शनु',
आरज़ू-ए-इश़्क किसी से जताता नहीं मैं"-
"कह दो उनसे,हिजाब में भी न आएं मेरी मय्यत पे वो !
उनके लग़्ज़िश-ए-पा,बयां कर देंगे राज़-ए-इश्क हमारा"
मय्यत--dead body
लग़्ज़िश-ए-पा-पैैरों की लड़खड़ाहट
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"उनका दीदार हो ज़हे-क़िस्मत,न हो तो शिकवा कैसा!
हम तो महव-ए-तसव्वुर-ए-यार हैं,वो आएं,न आएं "
जहे-किस्मत--अहो भाग्य
महव-ए-तसव्वुर ए यार-- beloved ke ख्याल में लीन
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