"गर तू न करे तो किससे करूँ,
मैं बातें प्यार की !
गर तू न सुने तो किससे कहूँ , हाल-ए-दिल अपना "-
"दर कितने ही वा क्यूँ न हों,
कदम किसी जानिब बढ़ाता नहीं मैं!
शहर नया हो,या हो पुराना,
किसी से रब्त बढ़ाता नहीं मैं"
"आग़ाज़-ए-सफ़र-ए-इश़्क उन्हीं से, मंज़िल-ए-इश़्क भी वही!
नामुुकम्मल रह गया इश़्क 'शनु',
आरज़ू-ए-इश़्क अब जताता नहीं मैं"-
"उसे हासिल न कर पाने का दर्द,
उसकी याद दिलाता है मुझे !
ख़्वाहिश-ए-दिल,
दर्द ला-इलाज रहे,ला-दवा रहे उम्रभर"
ला-इलाज-- जिसका कोई इलाज न हो
ला-दवा-- जिसकी कोई दवा न हो-
" एक अरसे से खाली है,
ये सफ़्हा-ए-दिल'शनु' !
कोई तो आए,लिख दे कोई,
वाक़ि'आ किसी दिन !!"
सफ़्हा-ए-दिल --page of
heart
वाक़ि'आ-- प्रकरण/घटना
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"तेरे हुस्न-ओ-जमाल से फ़रोज़ाँ है,
हर ख्वाब-ओ-ख्याल मेरा!
ख्वाहिश के कासे में,तेरे इंकार
के सिवा, कुछ न आया कभी "
हुस्न-ओ-जमाल---beauty nd grace
कासा--- बर्तन,begger's pot-
"जिंदगी की तारीकियाँ इस कदर छायी हैं,
दिल ओ दिम़ाग पे 'शनु'!
कि याद ही नहींं आते वो लम्हें,
जो गुजारे हों शादमाँ हो कर"
तारीकियाँ --darkness
शादमाँ --happy-
तपता सहरा हो ,गर्म हवा के थपेड़े हों
अपना चेहरा मेरी हथेलियों में छुपा ले वो, उसे अच्छा लगेगा
सर्दी का सितम हो, बारिश का कहर हो
मेरे आगोश में छुप जाए वो,उसे अच्छा लगेगा
राह पुर-ख़ार हो,मसाफ़त की थकन हो
मेरा हाथ थामकर चले वो ,उसे अच्छा लगेगा
ना-मुकम्मल ख्वाहिशों का बोझ हो,आलम-ए-यास तारी हो
मेरे शानों पे सर रख दे वो,उसे अच्छा लगेगा
महफ़िल-ए-याराँ सूनी हो,बे-कैफ ज़िन्दगी हो
मुझे पास बुला ले वो,उसे अच्छा लगेगा
मुझसे बेहतर कई लोग होंगे उसकी ज़िन्दगी में
मुझे औरों से अलग सोच कर देखे वो,उसे अच्छा लगेगा
कासिद पयाम दो कि हक बे-हद है उसका मुझ पर
ये हक कभी आजमा कर देखे वो,'मुझे' अच्छा लगेगा-
"नजर मिलते ही क्यूँ छुपा लेते हैं,
वो अपना चेहरा हिजाब में !
होश ही कहाँ रह जाता है मुझे,
उनके दीदार के बाद "-
मरना सिर्फ़ शरीर का नहीं होता..,,
जिन बातों को हम किसी से कह नहीं
पाते...... ,,
मौत उन बातों की भी होती है.......
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