Shantanu Mishra   (अnamya)
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Poet, storyteller
Joined 29 September 2017


Poet, storyteller
Joined 29 September 2017
19 NOV 2021 AT 21:10

कुछ काम थे अपनी मर्ज़ी के
कुछ काम फकत मजबूरी थे

फिर वक़्त बहुत ही थोरा था
और सारे काम ज़रूरी थे !!!

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18 NOV 2021 AT 18:23

तुम अधूरी ख्वाईश बन कर, मेरे सामने से गुज़रना
मैं मासूम बच्चे की तरह, निहारूँगा तुमको!!!

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17 NOV 2021 AT 21:23

जहाँ तक मतलब है जहाँ को
वही तक मुझको पूछा जा रहा है

ज़माने पर भरोसा करने वालो
भरोसे का ज़माना जा रहा है

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17 NOV 2021 AT 19:39

कभी तो हम सब जानते हुए भी खामोश रहते हैं
कभी हमे कुछ पता भी नही होता और इश्तेहार छप जाता

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14 NOV 2021 AT 21:35

इबादत को एहले खल्ल पड़ी
जब आज तुम पर नज़र पड़ी
तब लगा ,मानो मेरी आंखों ने
आजतलक महज़ झूठ ही देखा हो
और तुम जैसे
किसी वक़्त की दरीचों
से झांकती हुई कोई सच ।।।


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10 NOV 2021 AT 21:12


चार शब्द अब काग़ज़ पे रदीफें लगने लगे हैं

नज़रें तुम्हारी बे-अदबी
वादे लतीफ़े लगने लगे हैं !!!

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10 NOV 2021 AT 21:00

वो रोशनी के कारोबार करने वाले
अब करे गुज़ारा किस के सहारे

दिवाली बीत गयी अब
दिए बुझ गए सारे!!!

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10 NOV 2021 AT 19:56

मेरे कांधे पर सर नही रहने देगा किसी दिन
यही जिसने मेरे कांधे पर सर रखा हुआ है..!!

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10 NOV 2021 AT 16:28

देख लइनी बॉम्बे दिल्ली
बिहार सन ना देखली दुजा प्रिये..

हम छी पटना के दीघा घाट सन
आहा जना छठ पावन पूजा प्रिये!!!

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9 NOV 2021 AT 23:40

आप बस किरदार हैं
अपनी हदे पहचानिये

वरना फिर एक दिन
कहानी से निकाले जायेंगे!!!

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