शक के आधार पर इल्ज़ाम लगाने की आदत
अमूल्य का भी मूल्य लगाने लगती है।
समर्पण को भी पैसों से तोलने लगती है।
राजा निर्णय करे क्या सही और क्या गलत।-
नेता ही अगर कार्यकर्ता
के परिश्रम को नकार दे....
तब केवल पार्टी नहीं
बल्कि विश्वास टूटता है
कि यह भविष्य है हमारा ?-
मेरे हिस्से का जीवन मुझे जीना होगा
संघर्ष, दुख - दर्द , खालीपन को सेहना होगा।
शायद प्रेम भी खुद ही से करना होगा।-
जब मुरझाया हुआ कमल का फूल
जब फ़िर से खिलने कोशिश करता हैं
जब कोई वृद्ध, बात करते करते ,
अचानक से नौजवान बनता है ।
उस कमल के फुल की कोशिश ,
और वृद्ध के बात का नाम है ,
पुराना प्रेम जो हर दिल में जिन्दा है।-
जब सब सही चल रहा होता है ,
जब सब सही चल रहा होता है ,
अचानक किसी के याद दिलाने से
पुराना प्रेम याद आता है।
फ़िर कैसे कुछ सही चल पाता है...-
किस रंग का इश्क था
कोन जाने कैसा था
था भी या सिर्फ अहसास था
जो भी था बड़ा ही लाज़वाब था
सच था या झूठ था
चेहरा था या नकाब था
कुछ तेरा भी सच था
कुछ मेरा भी सच था
नकाबों का नकाबों से
रिश्ता बड़ा गहरा था..-
हिसाब पसीने का
नहीं देखते षडयंत्रो के जाले।
ना दिखते राज़ काले काले ।
नहीं दिखती घुटन सासों की
ना सुनी जाती आवाज़ मजलूमों की ।
जो बिकता है बाजारों में ,
लेखक केवल वही लिखता है ,
किताबों में।-
नारा नहीं , ज़माना था।
देशभक्ति का फसाना था।
था अदना देह जिनका
पर्वत हिमालयसा था हौसला उनका।
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