Shänoo Shärmä   (Shanoo)
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Joined 12 July 2017


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Joined 12 July 2017
12 JUL 2017 AT 2:25

Sochti hu kuch likhu, par kalam hath aati nhi!
Kehne ko to bahut hai, par shabdo main byan kar pati nhi!

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12 JUL 2017 AT 1:48

Kyun main rakhu apni kalam mein siyahi,
Jab koi armaan dil mein machalta hi nhi!

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12 APR 2021 AT 23:45

सुनसान एक गाँव में
प्रक्रति की छाँव में
ज़िंदगी बटकती है
कई सवाल लिए

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31 AUG 2020 AT 0:44

ये एक सलामत क़लम ही तो है
बोझ मेरे दिल का लिख रही है

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5 JUL 2020 AT 21:23

कौन जाने कितने गिले शिकवे महफूस है इसमें
जो एक दिल टूट कर अभी भिखरा नही

ना रहम से ना प्यार हयात से लेकिन
सच कहु तो मुझे जीने का भी चाव नही

कौन जाने किस मोक़ाम पर पहुँचा दिया जमाने ने
की अब इस ज़िन्दगी पर मेरा ही अधिकार नही

दोस्तों से गुफ़्त्गु की है आवाज़ भी उठायी है
पर खामोशी में भी तबाह हूँ लेकिन जताया नही

मूर्ख बनी हूँ मैं बदसलूकी के हाथों इस क़दर
लेकिन दुनिया मेरी फ़िक्र करे ज़रूरी नही

ऐ बैग़ाने पीड़ा के लम्हों अब गुज़र भी जाओ
हर चीज़ रुकने का यहाँ नज़ारा होती नही

मेरी फ़ितरत ओर चारित्र भी बड़ी चीज है
पर ये सब किसी बेबस का सहारा बनती नही

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5 JUL 2020 AT 20:13

दिल नज़र और नसीब को अब करार नही
हाँ मैं रुकी हूँ मगर मुझे तेरा इंतेज़ार नही

हम से थी ये शामें मलँग सी
अब हमें ही इनकी उमंग नही

अभी ना छेड़ो ऐसे तुम मुझे
छलक जाएँगी भरी हुई आँखें मेरी

तुम्हारे हध और वफ़ा को मैं क्या जानू
मुझे अपनी ही दिल लगी अब क़ाबू नही

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5 JUL 2020 AT 19:58

सुनो अभी ना छेड़ो तार सुहाने
आज मौसम कुछ ख़ुशगवार नही ।।

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1 JUN 2020 AT 23:14

My heart is a mess..
Beautiful mess right now!
So perfectly ruined..
Splendidly destroyed right now!
Tremendously broken..
Extreme pain right now!

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7 MAY 2020 AT 21:00

मौसम से वसंत ऋतु गायब
जीवन से आनंद गायब

चटपटी बातें हुई ज़रूरी
अब कानों से बाली गायब

ईद खुशी की आये कैसे
दीप बिन दीपावली गायब

उतरा है आँखों से पानी
वो चेहरे की लाली गायब

अफ़वाहों में दम बहुत है
बातें भोली-भाली गायब

दोसती भी ज़हर हुई है
वो मिश्री सी गाली गायब

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19 MAY 2019 AT 19:58

राह देखी थी इस दिन की कबसे ,
सपने सजा रखे थे ना जाने कबसे,
बड़े उतावले थे यहां से जाने को,
जिंदगी का अगला पड़ाव पाने को..

पर ना जाने क्यों आज दिल में कुछ और आता है,
वक़्त को इसी पल रोकने का जी चाहता है।

जिन बातों को लेकर रोए, आज हंसी आ रही है,
जाने क्यों आज उन पलों की याद बहुत आई है..
कहा करते थे बड़ी मुश्किल से दो साल सह गया,
पर आज क्यों लगता है कि कुछ पीछे रह गया।

ना भूलने वाली कुछ यादें रह गयी,
यादें जो अब जीने का सहारा बन गयी।

मेरी टांग अब कौन खींचा करेगा,
सिर्फ मेरा सिर खाने कौन मेरा पीछा करेगा,
घूमने जाएंगे कह कर कोन मुकरेगा,
फिर इस बात पर हफ्ते भर कोन लड़ेगा।

कौन रात भर साथ जग कर पड़ेगा,
कोन मुजे चाय बिस्कुट के लिए बुलाएगा,
कौन मेरे नए नए नाम बनाएगा,
कौन गलती पर मेरी मुझे गालियाँ सुनाएगा।

किस के साथ टिफिन शेयर करूंगा,
ना जाने ये फिर कब होगा,
दोस्तों के लिए फिर ये CR कब लड़ेगा,
शाम गयी वो रातें भी गयी,

पर ना जाने क्यों आज दिल में कुछ और आता है,
वक़्त को इसी पल रोकने का जी चाहता है।❤️

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